Mythology Story: शुक्राचार्य ने दिया था शाप, मांस-मदिरा के सेवन से लगता है ब्रह्म हत्या का पाप! जानें पौराणिक कथा
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Mythology Story: शुक्राचार्य ने दिया था शाप, मांस-मदिरा के सेवन से लगता है ब्रह्म हत्या का पाप! जानें पौराणिक कथा

Mythology Story Of Alcohol In Hindu Dharm:  हिंदू धर्म में शराब, मीठ-मांस का सेवन राक्षसी प्रवृत्ति माना गया है. धार्मिक शास्त्रों और पौराणिक कथाओं के अनुसार शराब पीना सबसे बड़ा पाप माना गया है. साथ ही शराब पीना तामसिक पदार्थ माना गया है. क्योंकि शराब के सेवन के बाद व्यक्ति अपने होशों-हावास में नहीं रहता है और अध्यात्म से दूर होता है.  

हिंदू धर्म में शराब पीना वर्जित क्यों है

Mythology Story Of Shukracharya : हिंदू धर्म में शराब, मीठ-मांस का सेवन राक्षसी प्रवृत्ति माना गया है. धार्मिक शास्त्रों और पौराणिक कथाओं के अनुसार शराब पीना सबसे बड़ा पाप माना गया है. साथ ही शराब पीना तामसिक पदार्थ माना गया है. क्योंकि शराब के सेवन के बाद व्यक्ति अपने होशों-हावास में नहीं रहता है और अध्यात्म से दूर होता है.  मान्यता है कि शराब पीने से ब्राह्मणों को ब्रह्म हत्या का पाप लगता है, जिसके संबंध शुक्राचार्य और कच की एक पौराणिक कथा है. जिसका वर्णन महाभारत व मत्स्य पुराण में भी किया गया है. 

शराब सेवन करने की पौराणिक कथा

धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार तीन लोकों ( त्रिलोकी ) जीतने के लिए देवताओं और दानव के बीच युद्ध हुआ. युद्ध में मारे जाने वाले राक्षसों को उनके गुरु शुक्राचार्य मृत संजीवनी विद्या से उन्हें वापस से जीवित कर देते थे, लेकिन देवता के गुरु बृहस्पति देव के पास यह विद्या का ज्ञान न होने पर देवताओं का भारी नुकसाव हुआ. ऐसे में गुरु बृहस्पति ने अपने पुत्र कच को शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या सीखने के लिए भेजा. जहां कच ने एक हजार सालों तक ब्रह्मचार्य का संकल्प लेकर शुक्राचार्य और उनकी बेटी देवयानी की पूरे मन से सेवा की. 

जब यह बात राक्षसों को मालूम हुई कि कच शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या ले रहे हैं तो उन्होंने (राक्षस गण) कच की दो बार हत्या कर दी.  लेकिन शुक्राचार्य की बेटी देवयानी के आग्रह करने पर शुक्राचार्य ने संजीवनी विद्या से उसे दोनों बार जीवित कर दिया. राक्षस गण यह देख रहे थे और उन्होंने तीसरी बार कच की हत्या करके उसके शरीर को जला दिया और उसकी भस्म को शराब में मिलाकर शुक्राचार्य को पिला दी. लेकिन फिर से कच न दिखने पर देवयानी के कहने पर शुक्राचार्य ने कच को जीवित करने का प्रयास किया. 

ऐसे में कच ने शुक्राचार्य के पेट से ही आवाज लगाई.  शुक्राचार्य ने अपने पेट में ही कच को संजीवनी की पूरी विद्या सिखाई और पेट फाड़कर बाहर निकलने और मरने पर संजीवनी विद्या से उन्हें वापस जीवित करने की बात कही. कच ने गुरु आदेश मनाते हुए ऐसा ही किया वो पेट फाड़कर बाहर निकले और शुक्राचार्य को पुनः जीवित किया. 

शुक्राचार्य ने दिया ब्राह्मणों को शाप 

जब शुक्राचार्य जीवित हुए तो उन्होंने कच का वध करने वाले राक्षसों पर बहुत गुस्सा आया. और उन्होंने शराब को कच को मुख्य दोषी माना. शुक्राचार्य मे उसी समय शराब का सेवन न करने का संकल्प लिया. और शाप दिया कि जो भी ब्राह्मण शराब को सेवन करेगा वह ब्रह्म हत्या का दोषी माना जाएगा.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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