जिस कारोबार को इस्लाम में बताया गया है 'हराम'; सऊदी अरब अब उसी काम के जरिये कमाएगा पैसा
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जिस कारोबार को इस्लाम में बताया गया है 'हराम'; सऊदी अरब अब उसी काम के जरिये कमाएगा पैसा

Saudi Arab Film Industry: इस्लाम में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कामों को हराम बताया गया है लेकिन अब खुद सऊदी अरब फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए मोटी रकम खर्च करना जा रहा है. पढ़िए पूरी खबर

जिस कारोबार को इस्लाम में बताया गया है 'हराम'; सऊदी अरब अब उसी काम के जरिये कमाएगा पैसा

Saudi Arbia Film Industry: मुसलमानों के लिए दुनिया का सबसे मुकसद्दस देश सऊदी अरब अपनी इस्लामी कट्टड़वादी छवी को तेजी के साथ बदल रहा है. हाल ही में खबर आई है कि सऊदी अरब कल्चरल डेवलपमेंट फंड ने देश में उभरते फिल्म क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 234 मिलियन डॉलर खर्च करने का फैसला लिया है. अरब न्यूज के मुताबिक इसका मकसद लोकल कंटेंट को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय और विदेशी फर्मों को फाइनेंशियल पैकेज देकर प्राइवेट सेक्टर को ताकवतर बनाना और सऊदी फिल्म इंडस्ट्री का समर्थन करना है.

कल्चरल डेवलपमेंट फंड (CDF) के चीफ एग्जिक्यूटिव अधिकारी मोहम्मद बिन डेल ने कहा, "हम यह ऐलान करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमने फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली कंपनियों को फिल्म परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए देश भर में स्ट्रेटेजिक फाइनांशियल संस्थाओं के साथ साझेदारी की है. 

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सऊदी फिल्म क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को फाइनेंशियल पैकेज मुहैया करने के लिए मोहम्मद बिन दायल ने सीडीएफ वित्तीय भागीदारों के साथ दो समझौतों पर दस्तखत किए हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी फाइनेंशियल और निवेश संस्थानों को इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए इस मिशन में शामिल होने की दावत देते हैं. संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ज़रिए 16 से 18 मार्च के बीच रियाद में होने वाले एक कार्यक्रम में यह ऐलान किया गया.

इस प्रोग्राम ने पेशेवरों को जोड़ने के साथ-साथ स्थानीय और वैश्विक स्तर पर फिल्मों व मेकर्स को मनाने के लिए एक मंच के तौर पर काम किया है. यह फंड अलग-अलग सांस्कृतिक एक्टिविटीज का समर्थन करता है और सऊदी विज़न 2020 के मुताबिक की संस्कृति के मुनाफे को बेहतर बनाने की कोशिश करता है. बता दें कि सीडीएफ की बुनियाद साल 2021 में सऊदी अरब की संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से रखी गई थी. 

यहां यह बात काबिले जिक्र है कि इस्लाम में फिल्में देखने, फिल्मों में काम करना या इससे जुड़ा कोई भी काम करना हराम बताया जाता है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री के ज़रिए कमाई गई रकम से हज या फिर उमराह भी नहीं किया जा सकता है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक ऐसा देश जहां विशुद्ध रूप से इस्लामी कानून लागू है और जहां पर दुनियाभर के मुसलमान हज और उमराह फर्ज़ को अंजाम देने के लिए यात्रा करते हैं और वहां के मुसलमानों को अपना आदर्श मानते हैं, तो क्या अब वो भी 'हराम कमाई' के ज़रिए देश की अर्थव्यवस्था को सुधारेगा. 

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