ऑस्ट्रेलिया में आलू पर हाहाकार, McDonald's पर फूटा लोगों का गुस्सा
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ऑस्ट्रेलिया में आलू पर हाहाकार, McDonald's पर फूटा लोगों का गुस्सा

Potato Shortage in Australia: ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों आलू की कमी हो गई है. इस बीच यहां मैक डोनाल्ड ने आलू की नई डिश बनानी शुरू की है जिस पर लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया में आलू पर हाहाकार, McDonald's पर फूटा लोगों का गुस्सा

Potato Shortage in Australia: ऑस्ट्रेलिया की पसंदीदा सब्जियों में से आलू एक है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों आलू की कमी है. इसकी वजह से यहां फ्रोजन चिप्स की कमी हो गई है. देश में मछली और चिप्स का कारोबार दबाव में है और कुछ लोग इस बात से नाराज हैं कि मैकडोनाल्ड्स संकट के बीच में आलू का एक नया उत्पाद शुरू कर रहा है.

बढ़ रही आलू की खपत 

चीन जैसे देश अपनी खाद्य सुरक्षा नीति के तौर पर आलू की खपत पर जोर दे रहे हैं और दुनियाभर में बढ़ता शहरीकरण झटपट खाने तथा पकने वाले भोजन की खपत पर जोर दे रहे हैं. यही वजह है कि आलू की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है. फास्ट फूड बनाने वाले लोग इस मौके का फायदा उठा रहे हैं. मैकडोनाल्ड्स ऑस्ट्रेलिया में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए तैयार है. ऑस्ट्रेलिया में 2020 में मैकडोनाल्ड्स ने 1,33,000 टन से अधिक आलू खरीदा था. चिकन के साथ पके हुए आलू का नया व्यंजन शुरू करने के साथ ही यहां आलू की मांग बढ़ सकती है.

आलू को स्टोर करने में लगती है ऊर्जा

दुनियाभर में आलू की खेती करने वाले किसानों को फसल की अधिक लागत के खिलाफ कदम उठाना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया को फ्रोजन आलू का निर्यात करने वाले यूरोपीय देश बिजली के भारी-भरकम बिल का सामना कर रहे हैं. कई किसान भंडारण का खर्च बचाने के लिए शुरुआत में ही आलू बेच देते है. भंडारण में तापमान तथा आर्द्रता को नियंत्रित करने के लिए काफी ऊर्जा खर्च होती है. ऑस्ट्रेलिया के मुख्य निर्यातक न्यूजीलैंड में पिछली महीने भारी बारिश के कारण फसल कम होने की आशंका है क्योंकि आलू को सूखी मिट्टी तथा धूप की जरूरत होती है. ऑस्ट्रेलिया में आलू की खेती करने वाले किसान भी विपरीत मौसम का सामना कर रहे हैं. मौजूदा फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गई है तथा नई फसल लगाने में काफी देरी हो गयी है.

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जलवायु परिवर्तन से घट रही आली की खेती

हालांकि, इस साल अच्छी-खासी खेती होने से आलू किसानों को राहत मिल सकती है. लेकिन आगे भी आलू की खेती में कमी का सामना करना पड़ सकता है. इसकी एक वजह यह भी है कि छोटे किसान खेती छोड़ रहे हैं. यूरोपीय संघ के 2020 के आंकड़ों के अनुसार, करीब 800 किसान हर दिन खेतीबाड़ी छोड़ रहे हैं. आलू की उपज कम होने की एक और बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन भी है. 

किसान और सरकार क्या कर सकती है?

आलू की खेती में काफी खर्च परिवहन और भंडारण में आता है. उचित परिस्थितियों में कई अनाज, फल और सब्जियों का लंबे वक्त तक भंडारण किया जा सकता है. सही तरीके से भंडारण करने से आलू महीनों तक रखे जा सकते हैं. सही भंडारण के अभाव में यह जल्द ही खराब हो जाता है. अगर भंडारण की लागत पर नियंत्रण लगाया जा सके तो किसान सस्ते दामों पर तत्काल आलू बेचने के बजाए उनका भंडारण कर सकते हैं तथा ज्यादा खेती कर सकते हैं.

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