दुनिया का दर्द दिखाने वाले दानिश को फिर मिला पुलित्जर अवार्ड, जानें उनका दिलचस्प सफर
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दुनिया का दर्द दिखाने वाले दानिश को फिर मिला पुलित्जर अवार्ड, जानें उनका दिलचस्प सफर

अमेरिका के मशहूर पुलित्जर अवार्ड वेबसाइट के मुताबिक़ रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी से वाबस्ता रहे दानिश सिद्दीकी और उनके साथी अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे को इस  अवार्ड के लिए चुना गया है.

Danish Siddiqui

नई दिल्ली: दुनियाभर में तस्वीरी सहाफत (Photojournalism) में अहम पहचान और अहम मक़ाम हासिल कर मुल्क का नाम रौशन करने वाले आंजहांनी दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर अवार्ड दिया गया है. Pulitzer Prize 2022 जीतने वालों के नाम का ऐलान कर दिया गया है. जिसमें दानिश सिद्दीकी को मरने के बाद ये ऐज़ाज़ दिया गया है. फोटो जर्नालिस्ट दानिश सिद्दीक़ी समेत चार हिंदुस्तानियों को फीचर फोटोग्राफी के लिए मश्हूर पुलित्जर अवार्ड 2022 से सरफराज़ किया गया है.

दानिश सिद्दीकी की पिछले साल अफगानिस्तान में मौत हुई थी. तालिबान के इक़्तेदार पर कब्जे के दौरान जंग में कवरेज के लिए गए थे जहां अमन के दुश्मनों ने दानिश सिद्दीकी को गोली मार दी थी.  उन्होंने अफगानिस्तान जंग, हांगकांग ऐहतेजाज और एशिया, मश्रिक़े वुस्ता और यूरोप की कई अहम घटनाओं को कवर किया था जिसके लिए उन्हें ये ऐज़ाज़ दिया गया है.

अमेरिका के मशहूर पुलित्जर अवार्ड वेबसाइट के मुताबिक़ रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी से वाबस्ता रहे दानिश सिद्दीकी और उनके साथी अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे को इस  अवार्ड के लिए चुना गया है. 38 साल के दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में ड्यूटी पर थे. पिछले साल जुलाई में कंधार शहर के स्पिन बोल्डक जिले में अफगान फौजियों और तालिबान के बीच हुई झड़पों को कवर करने के दौरान उनका क़त्ल कर दिया गया था.

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2018 में दानिश को मिल चुका है ये ऐज़ाज़

यह दूसरी बार है जब सिद्दीकी ने पुलित्जर पुरस्कार जीता है. साल 2018 में भी फीचर फोटोग्राफी के लिए दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर इनाम मिल चुका है. उन्होंने म्यामांर के अक़्लियती रोहिंग्या समाज पर हो रहे ज़ुल्म व सितम और तशद्दुद की तस्वीर दुनिया के सामने पेश की थी इसके लिए उनके एक मुआविन और पांच दीगर सहाफियों के साथ उन्हें ये ऐज़ाज़ मिला था. बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार को पत्रकारिता की दुनिया में अमेरिका का सबसे बड़ा ऐज़ाज़ माना जाता है. इसकी शुरुआत 1917 से हुई थी.

ख्याल रहे कि फोटो जर्नालिस्ट दानिश सिद्दीकी ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से इकोनॉमी में ग्रेजवेशन किया था. इसके बाद उन्होंने जामिया के ही AJK मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर से 2007 में फोटो जर्नालिजम की डिग्री ली थी. उन्होंने अपना करियर टेलीविजन न्यूज के नुमाइंदा के तौर पर शुरू किया था, बाद में वह तस्वीरी सहाफत (Photojournalism) की  तरफ़ बढ़े और इस फोटो जर्नालिज्म में अमिट छाप छोड़ दिया. 2010 में उन्होंने इंटर्न के रूप में रॉयटर्स ज्वाइन की और मौत तक उस्से ही जुड़े रहे. दानिश सिद्दीकी को मरने के बाद अवार्ड मिलने पर आज पत्रकारिता से जुड़े लोग याद कर रहे हैं और खिराजे अक़ीदत पेश कर रहे हैं..

-मो. रिज़ाउल्ला शाइक़ हुदवी

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