Kalindi kunj Accident on Deewali Night: दीवाली की रात में कालिंदी कुंज हाईवे पर नॉएडा से दिल्ली की तरफ जा रहे एक बाइक सवार दंपति को नशे में धुत्त एक कार चालक ने टक्कर मार दी. इस हादसे में बाइक सवार आईटी प्रोफेसनल समी की यमुना नदी में गिरने से मौत हो गयी और माँ-बेटी (नवजात) गंभीर रूप से घायल हो गयी. इस केस में पुलिस का जो रवैय्या और बयान सामने आया है, वो आपको हैरान कर देगा..
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नई दिल्ली: वो 31 अक्टूबर की दीवाली की रात थी. राजधानी दिल्ली की फिज़ा रंग-बिरंगी रौशनी से जगमगा रही थी. हर तरफ जश्न और खुशियों का माहौल था. लोग अपने घरों में सुख, शांति और समृद्धि की पूजा-प्रार्थना में मसरूफ थे. अपने दोस्तों, अहबाबों और रिश्तेदारों को दीवाली की मुबारकबाद दे रहे थे.
ठीक उसी वक़्त, शराब पीकर तेज़ रफ़्तार में गाड़ी चला रहे किसी अमीर के बिगड़े हुए नवाब ने एक परिवार की ज़िन्दगी में हमेशा के लिए गहरा अँधेरा घोल दिया. एक बेटी के सिर से बाप का साया, एक बीवी से उसका गुरूर और बूढ़े माँ-बाप से बुढ़ापे का सहारा छीनकर हमेशा-हमेशा के लिए उनकी ज़िन्दगी को वीरान कर गया. उन सभी की दुनिया उजाड़ दी.
हद तो तब हो गई, जब पुलिस और प्रशासन ने मजलूम और दुखी परिवार को इन्साफ देने के बजाए यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि ऐसे हादसे होते रहते हैं! शायद यही हकीकत है इस दिल्ली, इस मुल्क और इस हुकूमत की. मरने वाला अगर गरीब और मारने वाल अमीर हो तो सब चल जाता है.. इत्तेफाक से अगर जुल्म सहने और मरने वाल मुसलमान निकला तो कानून के हाथ और तंग हो जाते हैं.. जुबान सिल जाते हैं, और इन्साफ की देवी अपनी निगाहें फेर लेती है.. अगर आपको इसपर भरोसा न हो, तो एक मुस्लिम आईटी प्रोफेशनल समी और उसकी बीवी अर्शी के साथ हुआ एक हादसा हूकूमत के इम्तेयाज़ी सुलूक का एक जीता-जागता मिसाल है.
आखिर क्या हुआ था दीवाली की उस मनहूस रात को ?
नॉएडा से दिल्ली की तरफ जाने वाले कालिंदी कुंज पुल पर रोज़ के मुकाबले में उस दिन ट्रैफिक का जोर कम था. जसोला में रहने और गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में काम करने वाला एक आईटी प्रोफेशनल 34 वर्षीय समी अपनी पत्नी अर्शी और 10 माह की बेटी के साथ रात तकरीबन 9 बजे नॉएडा से वापस जसोला अपने घर जा रहा था. तभी पीछे से आ रही एक तेज़ रफ़्तार ग्रे रंग की मारुती ब्रेज़ा कार ( (22 BH5826 C) ने दंपति की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक चला रहा समी बाइक से उछल कर यमुना नदी में जा गिरा. उसकी बीवी अर्शी और १० माह की बेटी वहीँ सड़क पर गिर गयी. ये सब देख रहा और वहां से गुज़र रहा एक पैदल राहगीर सूरज ने घायल अर्शी और उसकी बेटी की मदद की. सूरज ने पहले अर्शी के मोबाइल से ही उसके डायल हिस्ट्री में देखकर उसके पिता को फ़ोन किया और फिर पुलिस को इसकी सूचना दी.. सूरज घायल अर्शी के मोबाइल से इसलिए कॉल कर पाया क्यूंकि मोबाइल का स्क्रीन लॉक नहीं था..
फोटो: हादसे में घायल दम्पति की नवजात बेटी
हादसे में क्या हुआ ?
हादसे के बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस ने घायल अर्शी और उसकी १० माह की बेटी को अस्पताल पहुँचाया.. इस हादसे में ज़ख़्मी महिला की रीढ़ की हड्डी में गहरी चोटें आई हैं. उसके जिस्म में इंटरनल ब्लीडिंग और मल्टीपल फ्रैक्चर हुए हैं. वो दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अभी भी ज़िन्दगी और मौत के दो पाटों के बीच जूझ रही है. उसकी 10 महीने की मासूम बेटी की भी दोनों टांगों की हड्डियां बुरी तरह टूट चुकी हैं. उन दोनों की हालत को तस्वीरों में देखा और समझा जा सकता है. वहीँ, हादसे के बाद नदी में गिरे समी का हफ्ते भर तक कोई पता नहीं चला.. पुलिस और प्रशासन ने सिर्फ खानापूर्ती कर अपना पल्ला झाड़ लिया.. जबकि समी का बूढ़ा बाप उत्तराखंड के नैनीताल के रूद्रपुर से आकर हफ्ते भर यमुना के आसपास अपने जिंदा बचे या बेटे की लाश मिलने के इंतज़ार में बैठा रहा..दहाड़े मार-मारकर रोता रहा, बिलकता रहा.. लेकिन उसकी आखिरी उम्मीद भी टूट गयी. न बेटा मिला न उसकी लाश मिली..बेटे की लाश भला मिलती भी कैसे ? लाश बहकर काफी दूर जा चुकी थी. हादसे के लगभग 8 दिन बाद फरीदाबाद के किसी गाँव में समी की लाश बरामद की गयी.
किसने मारी थी टक्कर और उसका क्या हुआ ?
इस दंपति की बाइक में टक्कर मारने वाला शख्स दुष्यंत कुमार है. हादसे के वक़्त वो कार में अकेला था और खुद कार ड्राइव कर रहा था. 44 वर्षीय दुष्यंत कुमार दिल्ली का निवासी है. वह एक एयर लाइन कंपनी में केबिन क्रू की नौकरी कर चुका है. पीड़ित परिवार के मुताबिक, हादसे के वक़्त उसने पी रखी थी. उसकी गाड़ी में शराब की बोतलें भी पाई गई है. उसकी गाड़ी के नंबर पर पहले से भी कई चालान हैं. यानी उसकी ड्राइविंग का पुराना रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं है. समी के घर वालों का इलज़ाम है कि यह लापरवाही के कारण हिट एंड रन और शराब पीकर गाड़ी चलाने का मामला था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. एक इंसान की जान लेकर, और दो को अपाहिज कर देने के बाद भी मुल्जिम दुष्यंत कुमार खुलेआम घूम रहा है. पुलिस ने पीड़ित परिवार से कहा कि दिल्ली में ऐसे हादसे होते रहते हैं..
हम क्या कर सकते हैं ?
सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीकर वाहन चलाने के एक केस में फैसला देते हुआ कहा है कि शराब पीकर गाड़ी चलाने वाला ड्राईवर शरीर में बम बांधकर सरे बाज़ार घूमने वाले किसी आतंकवादी से कम नहीं होता है. ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार सख्त नियम और कानून बनाए. कानून बना भी है, लेकिन मुलजिम अगर अमीर और रसूखदार हो तो कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है. पुलिस उसके बचाव में खड़ी हो जाती है. पीड़ित मुसलमान हो तो उसकी रिपोर्ट लिखने में भी पुलिस आना-कानी करती है.. इस हादसे में पुलिस का बयान बेहद निराशाजनक और खौफनाक है. दिल्ली की सड़कों पर आप भी चलते हैं.. आपका बेटा भी चलता होगा.. आपकी बेटी भी तो स्कूटी से कॉलेज या ऑफिस जाती होगी.. घर का कोई न कोई फर्द तो रोज़ घर से ऑफिस या स्कूल कॉलेज आता- जाता होगा.. खुदा न खास्ते उनके साथ भी ऐसा हादसा हो जाए तो आप क्या करेंगे ? किससे कहेंगे ? कहाँ जायेंगे इन्साफ मांगने ? इस हादसे में हम सभी के लिए कई सबक है.. आइये हिट एंड रन, ड्रंक ड्राइविंग और पुलिस के उदासीन रवैय्ये के खिलाफ खड़े होते हैं.. आवाज़ बुलंद करते हैं.. इससे पहले की बहुत देर हो जाए..