आर्मी चीफ की फाइल पर इमरान खान से मशवरा करेंगे राष्ट्रपति, कर सकते हैं रिजेक्ट
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आर्मी चीफ की फाइल पर इमरान खान से मशवरा करेंगे राष्ट्रपति, कर सकते हैं रिजेक्ट

Asim Munir: पाकिस्तान आर्मी चीफ के नाम का ऐलान हो गया है, लेकिन अभी एक दिक्कत यह है कि कहीं राष्ट्रपति आरिफ अल्वी आसिम मुनीर को रिजेक्ट ना कर दें. क्योंकि वो यह फैसला इमरान खान की सलाह के बाद लेंगे. 

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Pakistan Army Chief: पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ का ऐलान हो चुका है. शहबाज़ शरीफ ने जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान की फौज के अध्यक्ष होंगे. इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया. यह जानकारी पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम ओरंगजेब ने अपने ट्विटर हैंडल के ज़रिए दी है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस बारे में समरी राष्ट्रपति के पास भेज दी गई है. 

अब यहां एक नया पेंच यह फंस रहा है कि राष्ट्रपति अगर चाहें तो वो इस एडवाइज को वापस भेज सकते हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति के देश के संविधान की धारा 48 के तहत हक है कि वो इस एडवाइज़ को वापस भेज दें. ऐसा इसलिए और भी ज्यादा मुमकिन है कि क्योंकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिव अल्वी इमरान खान के हिमायती हैं और उनकी पार्टी के नेता हैं. इमरान खान पहले से ही इस मसले पर सख्त रुख अपनाए हुए थे. 

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आसिम मुनीर के नाम का ऐलान होने के बाद इमरान खान ने एक इंटरव्यू में कहा है कि वो इस मसले पर राष्ट्रपति से राब्ते में हैं. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण नियुक्ति को लेकर मैं राष्ट्रपति के राब्ते में हूं और राष्ट्रपति मुझसे इस बारे में जरूर सलाह लेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ आर्मी चीफ की नियुक्ति के बारे में पूछने के लिए एक भगोड़े (नवाज़ शरीफ) के पास जाते हैं तो राष्ट्रपति मुझसे मशरवा क्यों नहीं कर सकते. मैं अपनी पार्टी का नेता हूं, इसलिए राष्ट्रपति मुझसे बात जरूर करेंगे. मुझे नवाज शरीफ की मंशा पर शक है.

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इमरान खान ने आगे कहा, 'सेना प्रमुख कौन बनता है, इससे मुझे क्या फर्क पड़ता है?' जो काबिलियत की बुनियाद पर सबसे बेहतर हो उसे आर्मी चीफ बना दो, मुझे कौन से अपने करप्शन के केस खत्म कराने हैं या चुनाव जीतने के लिए उनकी मदद चाहिए. हां लेकिन नवाज़ शरीफ जिसे भी आर्मी चीफ चुनता है वो पहले दिन वे विवादित हो जाता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और मैंने फैसला किया है कि हम कानून के दायरे में रहेंगे और हम जो भी करेंगे, संविधान और कानून के बीच रहेंगे. 

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