Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हुए हमले के बाद देश का सियासी मिजाज बदलता जा रहा है. हमले के बाद जहां इमरान भारी जनसमर्थन हासिल कर रहे हैं, वहीं वह विपक्ष और सेना के निशाने पर आते दिख रहे हैं. उनकी हालत पाक की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो जैसी बनती जा रही है, जिनकी 2007 में हत्या कर दी गई थी.
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इस्लामाबादः पाकिस्तान के साबिक वजीर-ए-आजम इमरान खान के कत्ल की नाकाम कोशिश से रावलपिंडी में सियासी समीकरण बदलने की संभावना है. दरअसल, हमले में जख्मी इमरान खान आईएसआई-निदेशालय के प्रमुख मेजर जनरल फैसल नदीम पर अपने कत्ल की साजिश रचने का इल्जाम लगा चुके हैं. नदीम को कुछ दिनों पहले, खान द्वारा ’डर्टी हैरी’ के तौर पर प्रचारित किया गया था. नदीम और उनके एक सेक्टर कमांडर हाल ही में पीटीआई के एक सीनियर नेता आजम स्वाति को मोबैयना तौर पर प्रताड़ित करने के लिए चर्चा में थे. स्वाति को सेना को बदनाम करने वाले एक ट्वीट के लिए हिरासत में लिया गया था. स्वाति ने नदीम और एक दूसरे आईएसआई अफसर पर उसके कपड़े उतारकर बेरहमी से पीटने का इल्जाम लगाया था. इमरान खान ने दोनों आईएसआई अफसरों को ’डर्टी हैरी’ कहकर फैरन बर्खास्त करने की मांग की थी.
प्रधानमंत्री ओहदे से इस्तीफा देने के बाद से ही इमरान खान सेना प्रमुख जनरल जावेद कमर बाजवा और उनके दूसरे अफसरों पर मुसलसल निशाना साध रहे हैं. पाकिस्तान की सियासत में सत्ता संघर्ष में बेनजीर भुट्टो और इमरान खान की कहानी एक जैसी लगती है. पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो की दिसंबर 2007 में हत्या कर दी गई थी. वह इमरान खान की तरह खुशकिस्मत नहीं थी. बेनजीर सेना को चुनौती देने के लिए सत्ता संभालने की राह पर थी तभी उनकी हत्या हो गई.
सत्ता से बाहर होना इमरान को ज्यादा से ज्यादा अवामी हिमायत हासिल करने के लिए प्रेरित किया है. इससे पहले बेनजीर भुट्टो को भी पाकिस्तान लौटने के बाद उनके सख्त सेना-विरोधी रुख की वजह से लोगों के बीच उन्हें हमदर्दी का बाइस बना दिया था. बेनजीर ने भी कई आईएसआई अफसरों और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर अपने कत्ल की साजिश रचने का इल्जाम लगाया था. इमरान खान की तरह, उसने भी कुछ आईएसआई अफसरों और दूसरे लोगों का नाम लिया था, जिनमें मुशर्रफ के करीबी विश्वासपात्र, ब्रिगेडियर एजाज शाह शामिल थे, जिनकी आतंकवादी समूहों के साथ संलिप्तता जगजाहिर थी. बाद में पता चला कि बेनजीर को तत्कालीन आईएसआई प्रमुख नदीम ताज ने उस रैली में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी थी जिसमें उनकी हत्या की गई थीं.
इमरान को लेकर सेना के अंदर घबराहट और बेचैनी साफ जाहिर हो रही है. इमरान खान पिछले कुछ वक्त से सैन्य नेतृत्व को बांटने वाले एजेंट के तौर पर देखे जा रहे थे. मध्य रैंकों और सैनिकों के अंदर भारी मतभेद हैं. कहा जाता है कि बाजवा को व्यक्तिगत रूप से तूफान को शांत करना पड़ा है. वह कितना कामयाब रहे, यह मालूम नहीं है. दरअसल, पूर्व आईएसआई प्रमुख जहीरुल इस्लाम समेत सेना के कई रिटायर्ड वरिष्ठ अफसर इमरान और उनकी पार्टी पीटीआई के समर्थन में खुलकर सामने आए थे. रावलपिंडी में कई ऐसे हैं जो सोचते हैं कि सेना की तरफ से अपने आश्रितों के साथ संबंध तोड़ना जल्दबाजी होगी. उन्हें लगता है कि नेतृत्व हवा की दिशा को समझने में नाकाम रहा है. इमरान, चाहे उनकी असफलताएं कुछ भी हों, आज अपने विरोधियों की तुलना में कहीं अधिक लोकप्रिय नेता बन गए हैं.
इमरान खान को सीधे चुनौती देने की सेना की योजना, जिस पर आईएसआई प्रमुख साफ तौर पर कह रहे थे, काम नहीं आई है. दरअसल, हत्या की नाकाम कोशिश के साथ ही बेनजीर भुट्टो की तरह इमरान खान की भी लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ी है. इमरान खान की लोकप्रियता बढ़ने के साथ, लोगों के साथ सेना का नाता भी उतना ही चौंका देने वाला रहा है, जिसमें से अधिकांश जनरल जावेद कमर बाजवा की नाकामियों को उजागर करते हैं.
अगर बाजवा और उसके लोग इमरान खान के खिलाफ आगे बढ़ते हैं, तो यह पाकिस्तान के लोगों के साथ सेना का सबसे कमजोर करने वाला संघर्ष होगा.
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