मक्का और मदीना में हिन्दुओं की क्यों नहीं होती है एंट्री, दूर करें अपनी गलतफहमियां
Taushif Alam
Aug 01, 2024
मक्का मदीना मक्का और मदीना का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहले हज यात्रा का ख्याल आता है. मक्का और मदीना इस्लाम में सबसे पाक जगहों में से एक हैं.
पैंगबर मोहम्मद (SAW) पैंगबर मोहम्मद (SAW) का जन्म भी यहीं हुआ था. बहुत से लोग मक्का और मदीना के बारे में नहीं जानते होंगे कि वे वास्तव में क्या हैं? अगर आप नहीं जानते, तो आइए हम बताते हैं.
सऊदी अरब मक्का और मदीना दोनों दो अलग-अलग शहर है, जहां लोग हर साल हज करने जाते हैं. ये दोनों जगह सऊदी अरब में मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि इस्लाम मजहब का जन्म यहीं हुआ था. इन शहरों में सिर्फ मुसलमानों को ही जाने की इजाजत होती है, लेकिन ऐसा क्यों, तो आइए जानते हैं.
मक्का और मदीना में हिंदूओं की नो एंट्री दुनिया भर से किसी भी मुसलमान को मक्का जाने की इजाजत है. सिर्फ़ हिंदू ही नहीं, बल्कि किसी भी गैर-मुस्लिम को भी यहाँ जाने की इजाजत नहीं है.
ऐसे मिल सकती हैं एंट्री हालांकि, आप मदीना में एंट्री तो ले सकते हैं, लेकिन शहर के कुछ हिस्सों में ही जा सकते हैं. पूरे मदीना में सिर्फ मुसलमान ही घूम सकते हैं. क्योंकि ये भी इस्लाम धर्म का सबसे बड़ी मस्जिद अल-हरम मस्जिद है.
जरूरी काम से जा सकते हैं हिंदू गैर-मुस्लिम लोग मदीना में तभी दाखिल हो सकते हैं, जब उन्हें कोई जरूरी काम हो, लेकिन उन्हें सीमित जगहों पर ही जाने की अनुमति है. वे किसी खास काम से भी वहां जा सकते हैं. इसके लिए आपको वहां जाने का कोई उचित और वाजिब कारण बताना होगा.
मूर्ती पूजा है हराम इसके अलावा सऊदी अरब में मूर्ति पूजा की इजाजत नहीं है, अगर कोई मूर्ति पूजा करता है और पकड़ा जाता है तो उसे मौत की सजा दी जाती है.
पुलिस चौकियों पर होती है जांच मक्का में प्रवेश करने से पहले कई चौकियों पर जांच की जाती है कि कहीं कोई गैर-मुस्लिम मक्का शहर में प्रवेश तो नहीं कर रहा है। अगर कोई गलती से भी मक्का और मदीना में प्रवेश कर जाता है तो उसे सऊदी कानून के तहत सजा दी जाती है.
स्मृति ईरानी हालांकि, हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सऊदी अरब का दौरा किया था, जहां उन्होंने मदीना मस्जिद का भी दौरा किया था, जिसके बाद काफी बवाल मचा था.
सऊदी अरब है सबसे प्रभावी देश गौरतलब है कि सऊदी अरब इस्लामिक देशों में सबसे ताकतवर देश है, जहां सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत होती है. इबादत करने की इजाजत दी जाती है.