Urdu Poetry in Hindi: कोई शिकवा न ग़म न कोई याद, बैठे-बैठे बस
Urdu Poetry in Hindi: अपनों से जंग है तो भले हार जाऊँ मैं, लेकिन मैं...
Urdu Poetry in Hindi: उस के वारिस नज़र नहीं आए, शायद उस लाश के...