पाकिस्तानी खिलाड़ी ग्राउंड में बैठकर क्यों पीते हैं पानी; पानी पीने का ये है 6 इस्लामी तरीका?

Taushif Alam
Oct 28, 2024


इंसानों के लिए पानी कुदरत की दी हुई बड़ी नेमत है. धरती पर हवा-पानी और अनाज की मौजूदी की वजह से ही जीवन संभव है. इस्लाम में इसे पीने का तरीका और पीने के बाद ईश्वर/ अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का हुक्म है.


इस्लाम में पानी पीने के 6 सुन्नतें बताई गई है, यानि जैसे पैगम्बर मुहम्मद (स.) पीते थे. यही वजह है कि मुसलमान और अक्सर पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ी ग्राउंड में बैठकर पानी पीते नज़र आते हैं.


इस्लाम की शिक्षाओं के मुताबिक पानी का बर्तन हमेशा दाहिने हाथ से पकड़ना चाहिए. बर्तन टूटे-फूटे न हो और सोने-चांदी के बर्तन से भी पानी पीने की मनाही है.


पानी का बर्तन लेकर जमीन या किसी चीज पर बैठकर इसे पीना चाहिए. अगर बैठने की कोई जगह न हो तो खड़े होकर भी पी सकते हैं, लेकिन इसे रूटीन न बनाएं. बैठकर पानी पीने का हुक्म अन्य धर्मों में भी मिलता है, और मेडिकल साइंस भी इसे सही मानता है.


पानी पीने के पहले इसे अच्छे से देख लेना चाहिये कि पानी साफ़-सुथरा है कि नहीं.. इसमें किसी तरह की गंदगी तो नहीं है. यहाँ तक कि पीने वाले किसी भी चीज़ को पीने के पहले देखने का हुक्म है. मिसाल के तौर पर फ्रूटी बिने देखे पीने के कई खतरे सामने आ चुके हैं.


इस्लाम में पानी पीने के पहले बिस्मिल्लाह पढ़ने का हुक्म है. यानी पीने के पहले अल्लाह का नाम लेना, या उसका नाम लेकर पानी पीना. पानी न ज्यादा ठंडा हो न गर्म हो.


इस्लाम में पानी को घूँट-घूँटकर पीने का हुक्म है. पानी के बर्तन में सांस लेने और छोड़ने से मना किया गया है. तीन साँसों के दौरान पानी पीने को आदर्श स्थिति बताया गया है.


इस्लाम में पानी को प्रकृति का एक गिफ्ट माना गया है. इसलिए हर बार पानी पीने के बाद अल्हम दुलिल्लाह कहकर ईश्वर का शुक्रिया अदा करने का आदेश है.


वहीँ वजू कर के बर्तन में बचा हुआ पानी या सऊदी अरब के आबे जम-जम को खड़े होकर पीने को सुन्नत तरीका माना गया है.

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