Malaysian Muslim: मलेशिया में मुस्लिम सोशल मीडिया पर मस्जिदों का वीडियो साझा कर रह रहे हैं. वह यह एक्शन सरकार के एक कैंपेन के खिलाफ उठा रहे हैं. पूरी खबर पढ़ें.
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Malaysian Muslim: मलेशिया के मुसलमान सोशल मीडिया पर मस्जिदों का वीडियो पोस्ट कर रहे हैं. वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिक टॉक का इसके लिए सहारा ले रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार के जरिए जारी किए गए टूरिज्म वीडियो में इस्लाम को साइडलाइन किया गया और हिंदू मंदिरों और गिरजाघरों को ज्यादा तवज्जो दी गई.
दरअसल मलेशिया सरकार के जरिए विजिट मलेशिया 2026 कैंपेन लॉन्च किया गया था. जिसका मकसद 35.6 मिलियन इंटरनेशनल ट्रैवलर्स को अट्रैक्ट करना था. इस टूरिज्म के जरिए 2026 तक तकरीबन 147.1 billion जनरेट होने का टारगेट रखा गया था. लेकिन टूरिज्म मिनिस्ट्री के जरिए इस कैंपेन की शुरुआत करते हुए जारी किए गए 41 सेकंड के वीडियो की मलय मुस्लिम बहुल इलाकों में आलोचना होना शुरू हो गई, क्योंकि इसमें किसी भी मस्जिद को नहीं दिखाया गया है.
मलेशिया के मुसलमानों का कहना है कि इस वीडियो में किसी भी मस्जिद को दिखाया नहीं गया है. इसके बजाय, इसमें मेलका में 272 साल पुराने डच युग के क्राइस्ट चर्च और सेलंगोर में हिंदू मंदिरों के लोकप्रिय बाटू गुफाओं के कॉम्पलेक्स पर जोर डाला गया है. कई यूजर सोशल मीडिया पर ऐतिहासिक मस्जिदों के नाम को बता रहे हैं. एक यूजर लिखता है कि पुत्राजय में पुत्रा मस्जिद को डालने में क्या था?
जवाब में, कई लोगों ने अपने स्थानीय मस्जिदों का प्रचार करने के लिए टिकटॉक का सहारा लिया है, और जवाबी कैंपेन के तौर पर आधिकारिक वीडियो के संगीत का ही इस्तेमाल किया गया है.पर्यटन मंत्री त्योंग किंग सिंग ने पिछले बुधवार को आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि मलेशिया की "अद्भुत मस्जिद वास्तुकला" को अधिक विस्तृत प्रचार वीडियो में शामिल किया जाएगा, उन्होंने कहा कि जिस क्लिप के कारण यह वायरल अभियान शुरू हुआ, वह केवल एक शॉर्ट इंट्रोडक्शन है.
मलेशिया सरकार के मुताबिक देश में 63.5 फीसद मुसलमान रहते हैं. 18.7 फीसद बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं. वहीं 9.1 फीसद ईसाई और 6.1 फीसद हिंदू हैं. यहां ज्यादातर मुसलमान सुन्नी संप्रादाय के हैं.