मौलाना को 20 साल क़ैद की सज़ा; कोर्ट में काम नहीं आई बरेलवी और देवबंदी की दलील
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1419106

मौलाना को 20 साल क़ैद की सज़ा; कोर्ट में काम नहीं आई बरेलवी और देवबंदी की दलील

मुंबई में एक 12 साल की स्टूडेंट का यौन शोषण करने वाले मुल्ज़िम मौलाना को कोर्ट ने 20 साल की सज़ा सुनाई है. कोर्ट में मुल्ज़िम ने कहा था कि वह बरेलवी मौलाना है जबकि पीड़िता का परिवार देवबंदी है, इसलिए उसे झूठे मामले में फंसाया गया है, लेकिन कोर्ट ने उसकी दलीलों को ख़ारिज कर दिया. 

अलामती तस्वीर

मुंबईः एक स्पेशल कोर्ट ने आठ साल की स्टूडेंट के यौन शोषण के मुल्ज़िम मौलाना को क़ुसूरवार ठहराते हुए कहा, "टीचर से स्टूडेंट की हिफाज़त की उम्मीद की जाती है. पीड़ित छात्रा मुल्ज़िम मौलाना के घर क़ुरान पढ़ने जाती थी, लेकिन मौलवी ने उसके भरोसे को तोड़ दिया." यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) क़ानून के तहत मामलों की सुनवाई कर रही जज सीमा जाधव ने 20 अक्टूबर को मुल्ज़िम को क़ुसूरवार ठहराते हुए उसे 20 साल क़ैद की सज़ा सुनाई है. अदालत ने मुल्ज़िम की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि उसे दुश्मनी की वजह से मामले में झूठा फंसाया गया था.

मौलाना कोई आम आदमी नहीं, वह उस्ताद थाः कोर्ट 
अदालत ने अपने फैसले में कहा, “पीड़िता आठ साल की बच्ची है. मुल्ज़िम कोई आम आदमी नहीं बल्कि उसका उस्ताद था. अदालत ने कहा, “टीचर से मुहाफिज़ के तौर पर काम करने की उम्मीद की जाती है. मुल्जिम के इस तरह के घिनौने कारनामों का पीड़ित की ज़िंदगी पर साइकोलॉजिकल और इमोशनल असर रहेगा."अदालत ने कहा कि मुल्ज़िम ने गुनाह तब किया था जब बच्ची ने अभी-अभी समझना और अपनी ज़िंदगी जीना शुरू किया था. उसने कहा, “भरोसे के आदमी के ज़रिए इस तरह का गुनाह बच्ची की ज़िंदगी को पॉज़िटिव तौर से देखने के नज़रिये को बदल देता है. इसलिये, मुल्ज़िम किसी भी रियायत का हक़दार नहीं है.” 

कोर्ट ने कोफी अन्नान के स्टेटमेंट का दिया हवाला 
अदालत ने अपने फैसले में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कोफी अन्नान के एक क़ौल का ज़िक्र करते हुए कहा, “महिलाओं के खिलाफ हिंसा शायद सबसे शर्मनाक मानवाधिकार उल्लंघन है, और यह शायद सबसे ज्यादा होता है. इसकी कोई भौगोलिक, सांस्कृतिक या आर्थिक सीमा नहीं है. यह जब तक जारी रहेगा, हम समानता, विकास और शांति की दिशा में वास्तविक तरक्की करने का दावा नहीं कर सकते.” 

मुल्ज़िम की दलील ख़ारिज 
मुल्ज़िम ने दावा किया था कि यह दुश्मनी की वजह से पीड़ित परिवार के ज़रिए दायर किया गया एक झूठा मामला था, क्योंकि वे बरेलवी तबक़े से ताल्लुक़ रखता है, जबकि वह देवबंदी तबक़े से है. अदालत ने  मुल्ज़िम मौलाना की कुछ और दलीलों को क़ुबूल करने से इनकार कर दिया और कहा कि पीड़िता पश्चिम बंगाल में पैदा हुई थी. 

क्या था मामला ? 
शिकायत के मुताबिक़, पीड़िता का परिवार और मुल्जिम उपनगर कुर्ला में एक ही इमारत में रहते थे. पीड़िता रोज़ मुल्ज़िम मौलाना के घर अरबी में क़ुरान पढ़ने जाती थी. शिकायत के मुताबिक़, छह मई 2019 को, जब पीड़िता पढ़ने के लिए गई थी, तो मुल्ज़िम ने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे इस बारे में किसी से बात करने पर ख़तरनाक नतीजे भुगतने की धमकी दी थी. घर लौटने पर बच्ची ने बाद में अपनी मां को इस बारे में बताया जिसके बाद मुल्ज़िम मौलवी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.

ऐसी ख़बरों के लिए विज़िट करें zeesalaam.in 

 

Trending news