रिश्वतखोरी मामले में आईयूएमएल के नेता केएम शाजी को SC से राहत; बरकरार रखा HC का फैसला
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2532678

रिश्वतखोरी मामले में आईयूएमएल के नेता केएम शाजी को SC से राहत; बरकरार रखा HC का फैसला

इंडियन मुस्लिम लीग के नेता के खिलाफ मनी लांड्रिग केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसके को बरकरार रखा है. अदालत का कहना है कि गवहों के बयान से ऐसा नहीं लगता है कि उन्होंने सीधे पैसे मांगे.

रिश्वतखोरी मामले में आईयूएमएल के नेता केएम शाजी को SC से राहत; बरकरार रखा HC का फैसला

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के तेजतर्रार नेता केएम शाजी को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को खारिज करने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा. दो बार विधायक रह चुके 52 साल के शाजी केरल में सत्तारूढ़ माकपा के सबसे बड़े राजनीतिक विरोधियों में से एक हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और कन्नूर जिले में हत्या के मामलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है.

प्रबंधक से ली रिश्वत
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार को केरल सरकार और प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज कर दिया. मामला यह था कि शाजी ने 2014-15 में प्लस टू कोर्स को मंजूरी देने के लिए कन्नूर के अझिकोड हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधक से 25 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था.

दर्ज हुई शिकायत
स्थानीय सीपीआई-एम नेता के. पद्मनाभन ने शिकायत दर्ज कराई थी और सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13(1)(डी) के साथ 13(2) के तहत शाजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद ईडी ने पीएमएलए अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और वे भी सर्वोच्च न्यायालय में शाजी के खिलाफ केरल सरकार के साथ शामिल हो गए. 

गवाहों ने नहीं कबूली बात
सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दौरान दर्ज किए गए 54 गवाहों के बयानों की समीक्षा की और न्यायमूर्ति ओका ने पाया कि किसी भी बयान से यह संकेत नहीं मिलता है कि शाजी ने व्यक्तिगत रूप से पैसे मांगे या प्राप्त किए. उन्होंने कहा, "आपने 54 बयान दर्ज किए. एक भी गवाह ने यह नहीं कहा कि उसकी मौजूदगी में मांग की गई और उसे पैसे दिए गए, एक भी गवाह ने नहीं. मैनेजर समेत 50 गवाह...हमने पूरे रिकॉर्ड को देखा है. सभी ने कहा कि किसी और ने मुझे बताया कि पैसे मांगे गए. प्रतिवादी की तरफ से की गई मांग के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया." 

खारिज हुई याचिका
उन्होंने कहा, "अगर हम इसकी इजाजत देते हैं, तो किसी भी राजनेता को इसमें घसीटा जा सकता है..." अदालत ने ईडी और केरल सरकार दोनों की दलीलों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और रिश्वतखोरी के आरोपों से उत्पन्न शाजी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी को खारिज कर दिया.

बेदाग निकले साजी
आईयूएमएल नेता और राज्यसभा सदस्य हैरिस बीरन ने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री विजयन और अन्य लोगों के इशारे पर शुरू हुआ, जो सीपीआई-एम के खिलाफ शाजी के तीखे हमलों के लिए उनके खिलाफ हैं और उन्होंने शाजी को निशाना बनाने के लिए अपने पास मौजूद सभी शक्तियों का इस्तेमाल किया, लेकिन वह बेदाग निकले.

Trending news