Sudan War: सूडान अधिकारिक तौर पूर्वोत्तर अफ्रीकी देश है. यहां पर 4 महीनों से सूडान की सेना और अर्धसैनिक बलों में संघर्ष जारी है. अब सेना और अर्धसैनिक बलों ने ये कदम उठाया है.
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Sudan War: सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसियों के मुताबिक सूडानी सेना के प्रतिनिधि अपने अर्धसैनिक बलों के साथ बातचीत के लिए सऊदी अरब के जेद्दा लौट आए हैं. क्योंकि प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच युद्ध अपने चौथे महीने में प्रवेश कर गया है.
एक सरकारी सूत्र ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि "सशस्त्र बलों का एक प्रतिनिधिमंडल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) विद्रोहियों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए जेद्दा लौट आया है."
जेद्दा में वार्ता पर लौटने पर आरएसएफ की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है. जिसे सऊदी और अमेरिकी मध्यस्थों ने पिछले महीने संघर्ष विराम उल्लंघन की एक सिलसिला के बाद स्थगित कर दिया था. बता दें कि अलग से मिस्र द्वारा शुरू किया गया एक मध्यस्थता प्रयास गुरुवार को शुरू हुआ. इस प्रयास का सूडानी सेना जिसका मिस्र के साथ घनिष्ठ संबंध है और आरएसएफ दोनों ने स्वागत किया.
15 अप्रैल को सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और उनके पूर्व डिप्टी आरएसएफ कमांडर मोहम्मद हमदान डागलो के बीच सत्ता संघर्ष एक चौतरफा युद्ध में बदल गया था. जिसमें कम से कम 3,000 लोग मारे गए और तीन मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए.
पिछले सप्ताह इथियोपिया में पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्रीय ब्लॉक इंटरगवर्नमेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलपमेंट (IGAD) द्वारा आयोजित वार्ता का बहिष्कार करने के बाद सऊदी अरब में प्रतिनिधिमंडल ने सेना द्वारा राजनयिक प्रयासों की वापसी का संकेत दिया है.
आपको बता दें कि खार्तूम के विदेश मंत्रालय ने केन्याई राष्ट्रपति विलियम रूटो के आईजीएडी चौकड़ी के नेतृत्व पर आपत्ति जताई थी और नैरोबी पर आरएसएफ का पक्ष लेने का आरोप लगाया था. जेद्दा वार्ता स्थगित होने से पहले अमेरिकी मध्यस्थ निरंतर संघर्ष विराम की दिशा में काम करने में दोनों पक्षों से निराश हो गए थे. विशेषज्ञों का मानना है कि बुरहान और डागलो दोनों ने बाद में बातचीत की मेज पर अधिक रियायतें हासिल करने की उम्मीद में इसके बजाय युद्ध-विराम का विकल्प चुना है.
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