अब दिल्ली का नहीं घुटेगा दम, पॉल्यूशन को दूर करने के लिए आया यह कैप्सूल
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अब दिल्ली का नहीं घुटेगा दम, पॉल्यूशन को दूर करने के लिए आया यह कैप्सूल

दिल्ली हुकूमत अपने खर्चे पर दिल्ली के करीब 700 हेक्टेयर ज़मीन पर घोल का छिड़काव करेगी. घोल बनाने का काम शुरू हो गया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली/मुमताज़ खान: अब दिल्ली को आलूदगी (पॉल्यूशन) से बचाएगा ' कैप्सूल ', जी हां इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की इजाद की गई तकनीक दिल्ली को आलूदगी से आज़ाद करने में कारगर साबित होगी. हर साल दिल्ली को अक्टूबर-नवम्बर में धुंआ-धुआं कर देनी वाली पराली की आलूदगी से अब 'कैप्सूल' बचाएगा.

दिल्ली के लोगों को हर साल नवंबर के महीने से आलूदगी की मार झेलनी पड़ती है, इसकी बड़ी वजह है दूसरे सूबों में जलाई जाने वाली पराली है लेकिन इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR)पूसा ने एक ऐसी तकनीक डेवेलप की है जिस से कम से कम पैसों में और कम से कम वक्त में इस पराली को खाद में बदला जा सकता है.

दिल्ली हुकूमत अपने खर्चे पर दिल्ली के करीब 700 हेक्टेयर ज़मीन पर घोल का छिड़काव करेगी. घोल बनाने का काम शुरू हो गया है. दिल्ली के तक़रीबन 1200 किसानों ने इस तकनीक को अपने खेत में इस्तेमाल करने की ख़्वहिश जताते हुए रजिस्ट्रेशन कराया है. दिल्ली सरकार किसानों की इजाज़त से 11 अक्टूबर से उनके खेतों में घोल का छिड़काव करेगी.

ये कैप्सूल ऐसे जरासीम से बनी हैं जो पराली को कम से कम वक्त में खाद में तब्दील कर देते हैं. सिर्फ 4 कैप्सूल ढाई एकड़ तक पराली को एक महीने के अंदर खाद में तब्दील कर सकते हैं और इस एक कैप्सूल की क़ीमत सिर्फ 20 रुपये है.

ये कंपोजर कैप्प्सूल बैक्टरिया को कल्चर करके बनाए गए हैं, वो बैक्टेरिया जो पराली डिकम्पोज़ कर खाद में बदल देते हैं. इन कैप्सूल को गुड़ और बेसन के साथ उबाल कर इसका छिड़काव पराली पर किया जाता है. किसानों की सहूलियत के लिए ICAR ने लिक्विड भी तैयार किया है जिसे packaged bottle मे खरीदा जा सकता है.  

ICAR पहुंचे किसानों को उम्मीद है कि ये तजुर्बा कामयाब होगा और इससे कम लागत में पराली को खाद में तब्दील किया जा सकेगा.

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