झारखंड में 5 साल में मॉब लिंचिंग की इतनी घटनाएं; Anti Mob Lynching Bill को नहीं मिली मंजूरी
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झारखंड में 5 साल में मॉब लिंचिंग की इतनी घटनाएं; Anti Mob Lynching Bill को नहीं मिली मंजूरी

संसदीय कार्य मंत्री ने सदन को बताया कि मॉब लिंचिंग मामलों के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने पर सरकार विचार कर रही है. झारखंड विधानसभा ने बीते शीतकालीन सत्र में एंटी मॉब लिंचिंग विधेयक भी पारित किया था. बीते 21 दिसंबर को पारित यह विधेयक अब तक कानून का रूप नहीं ले सका है. 

अलामती तस्वीर

रांचीः झारखंड सरकार राज्य में मॉब लिंचिंग की घटनाओं से जुड़े मुकदमों में पीड़ितों को जल्द इंसाफ दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने पर विचार कर रही है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सीपीआई एमएल के विधायक विनोद सिंह द्वारा पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी. सरकार की ओर से लिखित जवाब में बताया गया है कि झारखंड में साल 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग की लगभग 46 घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं में आरोपी करीब 51 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और पीड़ितों के मुआवजे के तौर पर 19 लाख 90 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है. संसदीय कार्य मंत्री ने सदन को बताया कि मॉब लिंचिंग मामलों के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने पर सरकार विचार कर रही है.

पीड़ितों को सहयोग राशि भी मुहैया नहीं कराई गई
विधानसभा में अल्पकाल के दौरान विधायक विनोद सिंह ने सदन में अल्पकाल के दौरान सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि झारखंड में वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक मॉब लिंचिंग की करीब 58 घटनाओं को अंजाम दिया गया. हाल में हजारीबाग के करियातपुर में रूपेश पांडेय और बगोदर के खतको में सुनील पासी की मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई. विधायक ने कहा कि इन मामलों में अभी तक किसी को सजा नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से मॉब लिंचिंग के कई पीड़ितों को सहयोग राशि भी मुहैया नहीं कराई गई है.

एंटी मॉब लिंचिंग विधेयक भी पारित किया, लेकिन मंजूरी नहीं मिली 
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा ने बीते शीतकालीन सत्र में एंटी मॉब लिंचिंग विधेयक भी पारित किया था. बीते 21 दिसंबर को पारित यह विधेयक अब तक कानून का रूप नहीं ले सका है. विधेयक पर राज्यपाल की मंजूरी अभी बाकी है. राजभवन इसका अध्ययन कर रहा है. बताया जा रहा है कि राज्यपाल इस पर विधिक राय लेंगे. इसके बाद ही इसे स्वीकृति देने पर फैसला लिया जाएगा. इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों और साजिश रचने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा होगी. इस विधेयक में जुमार्ने के साथ संपत्ति की कुर्की और तीन साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान है.

आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान 
अगर मॉब लिंचिंग में किसी की मौत हो जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा होगी. गंभीर चोट आने पर 10 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें तीन साल की सजा होगी. अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वालों को भी अपराधी माना जाएगा. साथ ही पीड़ित परिवार को मुआवजा व पीड़ित के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है.

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