Solan: जिन हाथों में कभी पहनती थी लाल-हरी चूड़ियां, उन्हीं हाथों से थामती है अब ट्रक का स्टेयरिंग
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Solan: जिन हाथों में कभी पहनती थी लाल-हरी चूड़ियां, उन्हीं हाथों से थामती है अब ट्रक का स्टेयरिंग

Solan News: हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन की रहने वाली नीलकमल ठाकुर तकरीबन 8 साल से दो ट्रक चला रही हैं. पति का साया सिर से उठ जाने के बाद घर और परिवार की पूरी जिम्मेदारी नीलकमल के कंधों पर आ गई.  इसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया.

 

Solan: जिन हाथों में कभी पहनती थी लाल-हरी चूड़ियां, उन्हीं हाथों से थामती है अब ट्रक का स्टेयरिंग

Solan News: कहते हैं न जब इंसान को मजबूरियां हो तो वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है. जी हां ऐसी ही एक खबर सोलन से आई है. दरअसल, यहां एक महिला ने पति का साया सिर से उठने के बाद अपने भरण पोषण के लिए कार की स्टेयरिंग छोड़कर ट्रक का स्टेयरिंग संभाल ली. ये उन लोगों के लिए भी एक मिसाल है, जो हर दिन खुद कोसते हुए रात दिन अपनी जिंदगी ऐसे ही गुजार लेते हैं.

हम जिक्र कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के अर्की की रहने वाली नीलकमल ठाकुर की, जिन्हें आज धर्मशाला पहुंचने पर सम्मानित भी किया गया. नीलकमल ठाकुर तकरीबन 8 साल से खुद दो ट्रक चला रही हैं. पति का साया सिर से उठ जाने के बाद घर और परिवार की पूरी जिम्मेदारी नीलकमल के कंधों पर आ गई. इसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया.

हालांकि,  पति की मौत के बाद नीलकमल ठाकुर ने ड्राइवर रखकर ट्रकों का संचालन शुरू किया था, लेकिन ड्राइवर सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा था, जिसके बाद उन्होंने खुद ये जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने का फैसला लिया. ऐसे में पति के रहते कार चलाने वाली नीलकमल ने कार छोड़कर ट्रक पर सवार हो गई और तब से लेकर वह ट्रक लोड करके चंडीगढ़, ऊना, मनाली, किन्नौर, रोहतांग, सिरमौर तक का सफर अकेली करती हैं.

शौक से नहीं, हालात ने किया मजबूर; नीलकमल
वहीं, नीलकमल ने कहा कि शौक तो नहीं था, लेकिन हालात ने ट्रक चलाने को मजबूर कर दिया. पति की मौत के बाद इनकम का कोई सोर्स नहीं था. कई ड्राइवर भी रखे लेकिन किसी ने भी सही ढंग से काम नहीं किया. इसलिए मैंने खुद ये जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया. मुझे पहले कार चलाना आथी थी, इसलिए मैंने सोचा क्यों न ट्रक चलाया जाए, तब से लेकर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

RM ने जताई खुशी
एचआरटीसी धर्मशाला RM साहिल कपूर ने कहा, "मुझे पता चला कि महिला लोडेड ट्रक लेकर एचआरटीसी वर्कशॉप आई हैंय. दोनों ही ट्रक खुद ही चलाती हैं, ट्रकों की मरम्मत पर भी अच्छा ध्यान रखती हैं. इन्हें देखकर अच्छा लगा कि महिलाएं भी पुरुषों के समान काम तो करती ही हैं, सामान से भरा हुआ ट्रक भी आसानी से हेंडल कर सकती हैं."

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