Ratan Tata Birthday: कभी लोगों के स्टेटस सिंबल पर खरी नहीं उतरी थी ये कार; अब वापस आ रहा इसका नया अवतार
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Ratan Tata Birthday: कभी लोगों के स्टेटस सिंबल पर खरी नहीं उतरी थी ये कार; अब वापस आ रहा इसका नया अवतार

Ratan Tata Dream Car: टाटा नैनों को कई लोगों ने लखटकिया कार कहकर बदनाम किया था, लेकिन क्या आपको पता है रतन टाटा ने इस कार को किसके लिए बनाया था? आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे टाटा नैनो के बनने की कहानी. 

Ratan Tata Birthday: कभी लोगों के स्टेटस सिंबल पर खरी नहीं उतरी थी ये कार; अब वापस आ रहा इसका नया अवतार

Ratan Tata birthday: टाटा नैनो (Tata Nano) एक ऐसी कार जिसका नाम सुनते ही कुछ लोगों के मुंह से निकलता है, "कितनी प्यारी कार बनाई है टाटा ने" तो कुछ इसको 'टब्बा कार' बोल देते हैं. अगर आप इस कार के पीछे की कहानी सुनेंगे तो आपको भी इस कार से प्यार हो जाएगा और आप भी बोलेंगे ये कार टाटा ने भारत के लोगों को बेचने के लिए नहीं बल्की उनकी जरुरतों को पूरी करने के लिए बनाई थी. रतन टाटा (Ratan Tata) के जन्मदिन के मौके पर हम उनकी ड्रीम कार टाटा नैनो के बारे में आपको बताएंगे. 

टाटा नैनो बनाने का आइडिया कैसे आया? 
टाटा नैनो को रतन टाटा की ड्रीम कार कहा जाता है. टाटा नैनो भारतीय बाज़ार में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन इसको बनाने के पीछे रतन टाटा का बहुत बड़ा मकसद था. इस कार को बनाने को लेकर रतन टाटा ने बताया था, "मैं अक्सर लोगों को अपनी फैमिली के साथ स्कूटर/बाइक पर जाते देखता था, जहां बच्चे अपने मां-बाप के बीच में किसी तरह बैठे होते थे. लगता था जैसे वो सैंडविच हों. मुझे इससे प्रेरणा मिली कि मैं इन लोगों के लिए कार बनाऊं. आर्किटेक्चर स्कूल से होने का ये फायदा मिला कि मैं खाली समय में डूडल बनाता था. मैं खाली समय में डूडल बनाते समय यह सोचता था कि मोटरसाइकल ही अगर ज्यादा सुरक्षित हो जाए तो कैसा रहेगा? ऐसा सोचते-सोचते मैंने एक कार का डूडल बनाया, जो एक बग्गी जैसा दिखता था और उसमें दरवाजे तक नहीं थे. इसके बाद मैंने सोच लिया कि मुझे ऐसे लोगों के लिए कार बनानी चाहिए, जो महंगी कार नहीं ले सकते और फिर टाटा नैनो वजूद में आई."

नेगेटिव पब्लिसिटी ने किया बदनाम 
2008 में जब कार को लांच किया गया तो रतन टाटा को इससे बड़ी उम्मीदें थी.टाटा कंपनी को उम्मीद थी की ये कार उन लोगों की पहली पसंद बन जाएगी जो कार नहीं खरीद पाते और जान जोखिम में डाल कर बाइक पर ही अपने परिवार को लेकर सफर करते हैं. कार के लांच होते ही कुछ लोगों ने इसे डब्बा, साबुनदानी, दहेज कार, लखटकिया कार या गरीबों की कार बताना शुरू कर दिया. जानकार कहते हैं इसका असर ये हुआ जो लोग इसको लेना चाहते थे वे भी बुरी छवि की वजह से इससे बचने लगे. लोगों में ये धारणा बन गई थी कि अगर हम इस कार को लेंगे तो कहीं समाज में हमें गरीब न समझा जाए. इन सब वजहों से भारतीय बाज़ार में ये कार ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई और कंपनी ने 2019 में इस कार को बंद कर दिया.  fallback

EV में आएगी नैनो
पिछले दो-तीन सालों से कई बार ऐसी खबरें देखने को मिली है कि टाटा नैनो का EV वर्जन आने वाला है. रतन टाटा को कई बार टाटा नैनो में सफर करते देखा गया है, जिससे इन खबरों की काफी हद तक पुष्टी होती है. जानकारों के मुताबिक टाटा नैनो देश की सबसे सस्ती EV कार हो सकती है.

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