पैगंबर मोहम्मद साहब की पूरी जिंदगी उन वाकियो से भरी है जिसमें उन्होंने लोगों को माफ़ करने और उनसे बदला न लेने कि सीख देते रहे हैं. यहां हम आपको कुछ ऐसे ही वाकियात बताने जा रहे हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.
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नई दिल्ली: इस वक्त मुल्क मज़हबी कट्टरता के बेहद खतरनाक दौर से गुज़र रहा है . मज़हब के नाम पर यहां कत्ल तक करने लगे हैं. पिछले दिनों पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा ने पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं, जिसके बाद देश और दुनियाभर में माहौल बिगड़ गया. यहां तक कि हिंदुस्तान में कई जगहों पर दंगे भी हुए. इसी मामले में मंगलवार को राजस्थान के उदयपुर में एक टेलर मास्टर का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया, जिसका कुसूर बस इतना भर था कि उसने नूपुर शर्मा की हिमायत में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर किया था. पोस्ट करने के बाद से कत्ल के आरोपी और टेलर के बीच तनाव चल रहा था. जिसकी उसने पुलिस में शिकायत भी की थी. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि दोनों तरफ से सुलह भी हो गई थी, लेकिन मंगलवार को हुई घटना ने एक बार फिर इस मुल्क के गंगा जमुनी तहजीब के पाक दामन को दागदार कर दिया है.
हैरानी तब होती है जब दोनों आरोपी कत्ल करने के बाद घर आकर एक वीडियो बनाते हैं. इस वीडियो में वो अपने बुजदिलाना कदम को जस्टिफाय करते हुए कहते हैं कि वो पैगंबर मोहम्मद साहब के लिए जी रहे हैं, और मरेंगे भी तो उनके लिए ही. इसके बाद वो नारा भी लगाते हैं. अब इन जाहिलों को कौन समझाए कि मुसलमानों के प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद साहब को चाहने वाले तो ऐसा कर ही नहीं सकते. हजरत मोहम्मद साहब अपने आप में इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल हैं. पैगंबर मोहम्मद साहब के नाम जीने/मरने की कसम खाने वाले इन अनपढ़ लोगों ने उनकी जिंदगी को पढ़ा या फिर समझा ही नहीं. अगर ये लोग पढ़ या समझ लेते तो इस तरह का करना तो दूर सोचते हुए भी रूह कांप जाती.
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की जिंदगी ऐसे वाकियों से भरी पड़ी है, जिनमें उन्होंने अपनी उम्मत को इंसानियत की सबक दी है और खुद कई मिसालें पेश की हैं. उनकी जिंदगी को पढ़कर उसपर अमल करना मतलब इंसान और इंसानियत का सबसे बड़ा सबक पढ़ लेने जैसा है. पैगंबर मोहम्मद साहब की जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे ही वाकियात हम आपको बताने जा रहे हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.
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पैगंबर मोहम्मद साहब की नैतिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हजरत अनस बिन मलिक ने कहा, "एक देहाती ने मस्जिद-ए-नबवी में पेशान करना शुरू कर दिया. उसे पेशाब करता देख वहां मौजूद लोग रोकने के लिए बढ़े तो पैगंबर मोहम्मद साहब ने उन्हें रोक लिया उस शख्स को पेशाब करने दिया और फिर वहां मौजूद लोगों से पानी मंगवाकर उस जगह को साफ कराया. "
इन्हीं चंद बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पैगंबर मोहम्मद साहब नैतिकता/इंसानियत के लिए कितने रहम दिल थे. रही बात उनकी शान में गुस्ताखी करने वालों की तो उन्हें कत्ल नहीं किया जा सकता. मुस्लिम शरीफ (हदीस का नाम) में हजरत आयशा (रज़ि) कहती हैं कि जब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कोई किसी चीज से तकलीफ पहुंचती तो वो उसका इंतेकाम नहीं लेते थे. एक और रिवायत यह भी है कि पैगंबर मोहम्मद साहब का लोगों की तकलीफ पर सब्र करना और अपनी जात के लिए उनसे बदला ना लेना, उनसे प्यार और नर्मी वाला बर्ताव करना पैगंबर मोहम्मद साहब के किरदार में शामिल था.
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