CM केजरीवाल के खिलाफ LG ने की NIA जांच की सिफारिश, आतंकी संगठन से जुड़ा है मामला
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CM केजरीवाल के खिलाफ LG ने की NIA जांच की सिफारिश, आतंकी संगठन से जुड़ा है मामला

Delhi LG VK Saxena: दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने आज यानी 6 मई को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश की है. आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस'  से मामला जुड़ा है. 

CM केजरीवाल के खिलाफ LG ने की NIA जांच की सिफारिश, आतंकी संगठन से जुड़ा है मामला

Delhi LG VK Saxena: दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने आज यानी 6 मई को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' से कथित तौर पर राजनीतिक फंडिंग लेने के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की सिफारिश की है.

एलजी सक्सेना ने एक शिकायत के आधार पर कार्रवाई की कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को खालिस्तान समर्थक समूह से देवेन्द्र पाल भुल्लर की रिहाई के लिए और खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए 16 मिलियन डॉलर मिले थे.

क्या है पूरा मामला
लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना  के आदेश के मुताबिक, शिकायत वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया से मिली थी. लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रधान सचिव सक्सेना ने गृह मंत्रालय को लिखे खत में कहा कि शिकायतकर्ता ने एक वीडियो का हवाला दिया है, जिसमें कथित तौर पर गुरपतवंत सिंह पन्नून (खालिस्तानी आतंकवादी और प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस के संस्थापक) को दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने इल्जाम लगाया है कि आम अरविंद केजरीवाल के अगुआई वाली आदमी पार्टी (AAP) को 2014 और 2022 के बीच खालिस्तानी समूहों से 16 मिलियन डॉलर मिली है.

 देवेंदर पाल भुल्लर की रिहाई का वादा करने का है इल्जाम
अधिकारी के खत में 2014 में अरविंद केजरीवाल और "न्यूयॉर्क के गुरुद्वारा रिचमंड हिल्स में खालिस्तानी समर्थक सिखों" के बीच एक "गुप्त बैठक" का भी उल्लेख किया गया है. इसमें केजरीवाल पर कथित तौर पर फंडिंग के बदले देवेंदर पाल भुल्लर की रिहाई का वादा करने का इल्जाम लगाया गया है. 

कौन है देविंदर पाल सिंह भुल्लर
देविंदर पाल सिंह भुल्लर साल 1993 के दिल्ली बम विस्फोट मामले में मुजरिम है. दरअसल, दिल्ली में युथ कांग्रेस मुख्यालय के बाहर विस्फोट में हुआ था. जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी. जबकि 31 लोग जख्मी हुए थे. इस मामले में  देविंदर पाल सिंह भुल्लर को मुजरिम ठहराया गया था. उसे जर्मनी से डिपोर्ट करने के बात गिरफ्तार किया गया था. साल 1995 से तिहाड़ जेल में बंद देविंदर पाल सिंह भुल्लर को 2001 में कोर्ट ने सजा-ए-मौत दी थी, लेकिन साल 2014 में उसकी सजा-ए-मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था.

 

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