एनसीपीसीआर ने सभी राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर उनके राज्यों में चल रहे मुस्लिम अनाथालयों पर रिपोर्ट मांगी है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 15 दिनों के भीतर राज्यों से अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.
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राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग यानि एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों को एक पत्र लिखा है. पत्र लिखकर एनसीपीसीआर ने सभी राज्य सरकारों को चिट्ठी लिखकर उनके राज्यों में चल रहे मुस्लिम यतीमखाने पर रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने जवाब के लिए सभी राज्यों को 15 दिन का समय दिया है और कहा है कि 15 दिनों के भीतर सभी राज्य इस मामले पर अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपे.
आयोग ने पत्र में क्या लिखा है?
आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि कई यतीमखाने अब भी रजिस्टर्ड नहीं है. जिसे कारण यतामखानों में रहने वाले बच्चों का स्वास्थय काफी बुरा है. आयोग का कहना है कि बहुत सारे यतीमखानों में बेसिक सुविधाओं की भी कमी है और ऐसे यतीमखानों पर कानूनी कार्यवाई होनी चाहिए. राज्यों से कहा गया है कि राज्य अपनी रिपोर्ट में बताएं कि उनके राज्य में कितने यतीमखाने हैं और उनका रजिस्ट्रेशन का स्टेटस क्या है.
क्या है राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) बाल अधिकारों के सार्वभौमिकता और अखंडता के सिद्धांतों पर जोर देता है. यह देश के बच्चों से जुड़े सभी नीतियों में अत्यावश्यकता की आवाज को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान करता है.आयोग के लिए, 0 से लेकर 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों की सुरक्षा मायने रखती है. इसलिए इसकी नीति बहुत कमजोर बच्चों के लिए प्राथमिक कार्यों को परिभाषित करती है. इसके अंतर्गत पिछड़े वर्ग के बच्चे (किसी भी आधार पर) या कुछ निश्चित परिस्थितियों वाले या खास समुदायों वाले बच्चों को प्राथमिकता में रखना शामिल है