Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी की जेल में मौत हो चुकी है, और मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई है. अंसारी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के एक बेहद बावकार जमींदार खानदान से ताल्लुक रखते थे. मुख्तार अंसारी के दादा मुखतार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सद्र रह चुके थे और उनके नाना मोहम्मद उसमान भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे. पूर्व राष्ट्रपति और नौकरशाह हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के करीबी रिश्तेदार हैं.
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Mukhtar Ansari: पूर्व विधायक और डॉन मुख्तार अंसारी की जेल में मौत हो चुकी है, और मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई है. लेकिन अंसारी की मौत ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए हैं और साथ में देश में जिंदा बचे कई सियासी कैदियों के लिए एक बड़ा सबक.
"ये दबदबा ये हुकूमत ये नशा-ए-दौलत,
किरायादार हैं, सब घर बदलते रहते हैं."
शायर बेकल उत्साही का लिखा ये शेर उत्तर प्रदेश के डॉन से नेता बने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की सटीक तरजुमानी करता है. पांच बार के विधायक रहे मुख्तार अंसारी का हाल ये है कि आज उनका इज्जत से कोई नाम तक नहीं ले रहा है. जो इंसान जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा शोहरत, इज्जत, बुलंदी और वकार के साथ गुजारा. वही, अपनी ताकत और रसूख के बेजा इस्तेमाल और गलत राह पर चलने की वजह से वक्त और हालात बदलते ही बेबस और लाचार बन गया और लाचार भी इतना कि जेल में ही उसकी मौत हो गई..
तीन पीढ़ियों से सियासत और प्रशासन में है मुख्तार अंसारी का परिवार
मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के एक बेहद बावकार जमींदार खानदान से ताल्लुक रखते थे. मुख्तार अंसारी के दादा मुखतार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सद्र रह चुके थे और उनके नाना मोहम्मद उसमान भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे. पूर्व राष्ट्रपति और नौकरशाह हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के करीबी रिश्तेदार हैं. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई शिबगतुल्लाह अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 2007 से 2017 तक विधायक रहे हैं. मुख्तार के दूसरे भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर सीट से लोकसभा के सांसद हैं. 2004 और 2019 में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था. वहीं, मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा यूपी में सुहेलदेव पार्टी के टिकट पर मऊ से विधानसभा का चुनाव जीता था, लेकिन एक गैर-कानूनी हथियार रखने के इल्जाम में फिलहाल जेल में बंद है.
मुख्तार अंसारी एक ही सीट पर पांच बार रहे विधायक
मुख्तार अंसारी ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिर्टी से छात्र राजनीति करने के बाद साल 1996 में राजनीति में कदम रख दिया था. पहली बार वह 1996 में मऊ से विधायक बने. इसी सीट पर 2002, 2007, 2012 और 2017 में विधायक चुने गए. दो बार बसपा के टिकट पर, दो बाद निदर्लीय उम्मीदवार के तौर पर और एक बार खुद की पार्टी कौमी एकता दल के टिकट पर विधायक चुने गए.
जुर्म से मुख्तार अंसारी का नाता
मुख्तार अंसारी राजनीति में कदम रखने के पहले ही 1980 के दशक में पूर्वांचल के गैंगेस्टर मखानू सिंह के गैंग के नजदीक आ गए थे. कहते हैं मखानू सिंह गैंग का साहिब सिंह गैंग से 36 का आंकड़ा चलता था और इसी गैंग के एक सदस्य ब्रजेश सिंह ने गाजीपुर में कोई बड़ा सरकारी ठेका लिया था. यहीं से मुख्तार अंसारी का गैंगवार शुरू हो गया. ये सभी गैंग रेलवे, स्क्रेप, माइनिंग, शराब और सरकारी निर्माण कामों का ठेका लेते थे. 1990 आते-आते मुख्तार अंसारी का मऊ, गाजीपुर, जौनपुर और बनारस तक साम्राज्य फैल चुका था और 1996 में विधायक बनने के बाद वह ब्रजेश सिंह को खुली चुनौती देने लगे थे. दोनों में कई बार गैंगवार भी हुआ. मुख्तार के काफिले पर ब्रजेश सिंह ने गोली चलवा दी, जिसमें मुख्तार के तीन गनर समेत चार लोगों की मौत हो गई. यहीं से दोनों के बीच गैंगवार बढ़ता गया.
अवधेश राय और कृष्णदेव राय की हत्या से सुर्खियों में मुख्तार
इसी बीच 2002 में मुख्तार के भाई और पांच बार के विधायक अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा चुनाव हार गए. इस सीट पर जीत मिली भाजपा के कृष्णदेव राय को. इस चुनाव में ब्रजेश सिंह ने कृष्णदेव राय का खुलकर सपोर्ट किया था. इस चुनाव में मुख्तार पर मुस्लिम भीड़ का उकसाने का आरोप लगा और वह जेल भेज दिए गए. मुख्तार के जेल में रहते ही विधायक कृष्णदेव राय की लगभग 6 साथियों समेत हत्या हो गई, जिसका इल्जाम मुख्तार अंसारी पर लगा. इसके पहले ही 1991 में यूपी में कांग्रेस के नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या का इल्जाम भी मुख्तार अंसारी पर लगा चुका था. मुख्तार लगातार चुनाव जीतते गए और मजबूत होते गए. उधर, उनका प्रतिद्वंद्वी ब्रजेश सिंह भी अपराध के रास्ते राजनीति में कदम रखकर विधान परिषद सदस्य बन गया.
मायावती ने दी थी रॉबिनहुड की उपाधि
अपराध और राजनीति में सक्रिय मुख्तार अंसारी गरीब, पिछड़े और दलितों के मसीहा थे. वह सामंतवाद के भी कट्टर विरोधी थे. यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें रॉबिनहुड बताया था. ये वह वक्त था, जब मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए 2009 में बसपा के टिकट पर वाराणासी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. हालांकि, इस चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी से लगभग 17 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. मऊ और गाजीपुर के स्थानीय लोग बताते हैं कि मुख्तार अंसारी का परिवार कभी भी मुस्लिम वोट के आधार पर चुनाव नहीं जीता न ही उनके परिवार ने कभी साप्रदायिक राजनीति की. मोहम्मदाबाद हो या मऊ का सीट मुस्लिम वोट 30-40 हजार ही है, लेकिन उनका परिवार हमेशा लाख-डेढ़ लाख वोटों से चुनाव जीतता रहा है. परिवार की लोकप्रियता ऐसी है कि केंद्र सरकार में मंत्री मनोज सिंहा की अच्छी छवि और काम के बाद भी उन्हें मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी से लोकसभा का चुनाव 2019 में हारना पड़ गया. मऊ निवासी श्रेयश मिश्रा कहते हैं कि इलाके के गरीब, दलित और वंचित समाज के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस और प्रशासन के पास जाने के बजाए पहले मुख्तार अंसारी के घर जाते हैं.
60 से ज्यादा मुकदमे 8 में हुई थी सजा
वक्त के साथ मुख्तार अंसारी की ताकत और रसूख बढ़ती गई. उनपर हत्या, धमकी, धोखाधड़ी, उगाही जैसे 60 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए. अंसारी 2005 से ही जेल में बंद थे. यूपी में सरकार बदलने के बाद उनके लंबित मुकदमों पर मुसतैदी से सुनवाई होने लगी. कई मामलों में उन्हें सजा भी हुई तो कई मामलों में बरी भी कर दिया गया. अंसारी को सितंबर 2022 से 8 मामलों में यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी. पिछले 13 मार्च को अंसारी को तीन दशक पुराने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. एमपी-एमएलए अदालत ने विभिन्न दंड प्रावधानों के तहत अंसारी पर कुल 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
पंजाब से बांदा लाते वक्त एनकाउंटर की आशंका
मुख्तार अंसारी एक फर्जी एम्बुलेंस केस में पंजाब के रोपड़ जेल में बंद थे, लेकिन यूपी की योगी सरकार ने उन्हें पंजाब से शिफ्ट कर बांदा जेल बुलवा लिया. ये 2021 का वक्त था, जब कानपुर कांड के आरोपी विकास दूबे को उज्जैन से उत्तर प्रदेश लाते वक्त पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था. उसी वक्त मुख्तार को पंजाब से बांदा जेल लाया गया था, और आशंका जताई गई थी कि उनका भी रास्ते में एनकांउटर कर दिया जाएगा.
जेल में मुख्तार अंसारी को थी हत्या की आशंका
पंजाब से बांदा लाते वक्त मुख्तार अंसारी का एनकाउंटर तो नहीं हुआ, लेकिन बांदा जेल से पेशी पर आए मुख्तार ने कई बार कोर्ट में कहा था कि जेल में उन्हें मार दिया जाएगा, लेकिन कोर्ट ने मुख्तार की इस अपील को अनसुना कर दिया. अभी हाल में मुख्तार ने कोर्ट में कहा था कि जेल में उन्हें 40 दिनों से जहर मिला हुआ खाना दिया जा रहा है, जिससे उनकी तबियत बिगड़ती जा रही है. कोर्ट ने इसपर यूपी सरकार से जवाब भी मांगा था और जेल के दो अधिकारियों को लापरवाही के इल्जाम में सस्पेंड भी किया जा चुका है. इससे पहले मुख्तार अंसारी के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मुख्तार अंसारी को जेल में जान का खतरा बताकर यूपी से बाहर ट्रांसफर करने की अपील की थी, जिसपर सुनवाई होना बाकी था. हालांकि, इसे पहले कई बार सुप्रीम कोर्ट इस तरह के आवेदन को खारिज कर चुकी थी.