Monkeypox in Delhi: दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक मामला आने के बाद लोगों में डर बैठ गया है, जिसके बाद डॉक्टरों ने सलाह दी है कि इससे डरने और घबराने के बाजाए, सूझ-बूझ के साथ इसका सामना करें.
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नई दिल्लीः राजधानी में दिल्ली में इतवार को मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आने के बाद लोगों में दहशत का माहौल बन गया है. ऐसे में शहर के डॉक्टरों ने लोगों से सतर्क रहने और इस बीमारी से न घबराने की अपील की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व स्तर पर, अफ्रीका में पांच मौतों सहित 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,000 से ज्यादा मामले अबतक सामने आ चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने शनिवार को इस संक्रमण को अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बताते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया था.
क्या है बीमारी के लक्षण
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जिसमें आमतौर पर त्वचा पर फफोले और दाने उभरने के साथ बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं. हालांकि, यह स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बीमारी में मरीज चार सप्ताह के भीतर खुद ठीक हो जाते हैं. एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सलाहकार मनीषा अरोड़ा ने कहा, ’’मंकीपॉक्स एक हल्का संक्रमण है, जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं.’’ इस वजह से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है.
लक्षण प्रकट होने पर क्या करें ?
आंतरिक चिकित्सा फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, के निदेशक सतीश कौल ने कहा, ’’ अगर आपको बुखार है, हाल ही में यात्रा का इतिहास है, या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, जिसमें मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दिए हैं, तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. हो सके तो घर में बाकी लोगों से अलग रहने का इंतजाम करें.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष संपर्क के जरिए फैलता है. मानव-से-मानव संचरण संक्रामक त्वचा या घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है, जिसमें आमने-सामने, त्वचा से त्वचा और श्वसन की बूंदें शामिल हैं. संचरण मुख्य रूप से निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से होता है, जिसमें यौन संपर्क भी शामिल है. संक्रमण दूषित सामग्री जैसे लिनेन, बिस्तर, इलेक्ट्रॉनिक्स और संक्रामक त्वचा कणों को ले जाने वाले कपड़ों से भी हो सकता है. सामुदायिक चिकित्सा, एम्स के प्रोफेसर हर्षल साल्वे ने कहा, “मंकीपॉक्स मनुष्यों में श्वसन बूंदों और रोगियों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से फैलता है.
क्या है बचने के उपाय ?
मनीषा अरोड़ा कहते हैं, ’’हमें यह समझना होगा कि घबराने की जरूरत नहीं है, बस लोगों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. इस बीमारी के उपचार मौजूद हैं. किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोएं. अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करें. मास्क का प्रयोग करें. साफ-सफाई का खास ख्याल रखें.
दिल्ली में मिला पहला केस
गौरतलब है कि इतवार को दिल्ली में एक 34 वर्षीय पुरुष रोगी में इस बीमारी के लक्षण पाए जाने पर उसे लोक नायक अस्पताल में भर्ती किया गया है. संक्रमित दिल्ली के व्यक्ति का कथित तौर पर विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक पार्टी में वह शामिल हुआ था.
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