Uttarkashi News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में फंसे 41 मजदूरों को बचाने का काम जारी है. लेकिन इस बचाव काम में कुछ दिक्कत आ गई जिसकी वजह से बचाव काम रुक गय.
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Uttarkashi News: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे के 13वें दिन शुक्रवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा. टनल के बाहर तमाम विशेषज्ञ और रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी एजेंसी और टीम सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने में जुटी हैं, लेकिन, एक बार फिर 47 मीटर पर ड्रिलिंग रूक गई है. दरअसल, टनल में नौवां पाइप ड्रिल किया जा रहा था, लेकिन कुछ परेशानियों की वजह से ड्रिलिंग रोक दिया गया है. एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से कार्य प्रभावित हो रहा है. अभी 47 मीटर तक ड्रिलिंग हुई है. करीब दस मीटर तक और ड्रिलिंग बाकी है.
दूसरी तरफ सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रेस्क्यू अभियान है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में टीमें पूरी दक्षता और क्षमता से लगी हुई हैं.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें 41 मजदूर फंस गए. उनको बचाने के लिए बचाव काम जारी है.
12 नवंबर: दीवाली वाले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढहा, 41 श्रमिक फंसे. उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए आक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गयी.
13 नवंबर: भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य मुश्किल हुआ. ढीले मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की मदद से मजबूत करने और उसके बाद ड्रिलिंग कर उसमें बड़े व्यास की स्टील पाइपलाइन डालकर श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गयी.
14 नवंबर: ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें डालने के लिए 800 और 900 मिमी व्यास की पाइप मौके पर लाई गई. हालांकि, सुरंग में मलबा गिरने और उसमें मामूली रूप से दो बचावकर्मियों के घायल होने बचाव कार्यों में बाधा आई. सुरंग में फंसे लोगों को खाना, पानी, आक्सीजन, बिजली की आपूर्ति जारी। सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की शिकायत की जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध कराई गयीं.
15 नवंबर: पहली ड्रिलिंग मशीन के प्रदर्शन से असंतुष्ट एनएचआईडीसीएल ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई.
16 नवंबर: उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गयी. मशीन ने मध्यरात्रि के बाद काम शुरू किया.
17 नवंबर: रात भर काम करने के बाद मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर चार स्टील पाइप डाले. पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से जोर की आवाज आई, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम रोका गया. इसके बाद, बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गयी.
18 नवंबर: प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की टीम और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया.
19 नवंबर: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा की और कहा कि ऑगर मशीन के जरिए क्षैतिज ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. उन्होंने दो से ढ़ाई दिनों में सफलता मिलने की उम्मीद जताई.
20 नवंबर: बचावकर्मियों ने मलबे में ड्रिलिंग कर छह इंच व्यास की पाइपलाइन डाली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाना, कपड़े तथा अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति करने में मदद मिली. ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पायी.
21 नवंबर: बचावकर्मियों ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया. सफेद और पीला हेल्मेट पहने श्रमिक पाइप के जरिए भोजन प्राप्त करते और एक दूसरे से बातचीत करते दिखाई दिए. एनएचआइडीसीएल ने ऑगर मशीन से सिलक्यारा छोर से फिर क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू की.
22 नवंबर: 800 मिमी के व्यास की स्टील पाइपलाइन मलबे में 45 मीटर अंदर तक पहुंची और कुल 57 मीटर मलबे में से 12 मीटर को भेदा जाना शेष रह गया. देर रात लोहे के सरिए और गर्डर सामने आने से ड्रिलिंग में फिर अवरोध आया.
23 नवंबर: अड़चन आने से बचाव अभियान में छह घंटे की देरी हुई. बाधा को दूर करने के बाद ड्रिलिंग फिर शुरू हुई. राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने बताया कि बुधवार को आई रूकावट के बाद ड्रिलिंग में 1.8 मीटर की प्रगति हुई. ऑगर मशीन के नीचे बने प्लेटफॉर्म में दरारें आने से ड्रिलिंग फिर रूकी.
24 नवंबर: बाधाओं को दूर कर 25 टन वजनी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू हुई. लेकिन कुछ देर बाद फिर लोहे का सरिया सामने आने से ड्रिलिंग रूक गयी.