Islamic Knowledge: इस्लाम में अभिशाप नहीं होती हैं बेटियां; पुरुषों के लिए खोलती है जन्नत का रास्ता
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Islamic Knowledge: इस्लाम में अभिशाप नहीं होती हैं बेटियां; पुरुषों के लिए खोलती है जन्नत का रास्ता

Islamic Knowledge: इस्लाम में अपनी बेटियों से अच्छा सुलूक करने के बारे में बताया गया है. अगर कोई शख्स अपनी बेटियों या अपनी बहनों की परवरिश करता है और उनकी शादी करता है, तो उसे जन्नत मिलती है.

Islamic Knowledge: इस्लाम में अभिशाप नहीं होती हैं बेटियां; पुरुषों के लिए खोलती है जन्नत का रास्ता

Islamic Knowledge: मां-बाप अपने बच्चों की खुशी के लिए हम मुम्किन कोशिश करते हैं. उनको पैदा करने से लेकर उनकी पढ़ाई-लिखाई और उनकी शादी तक मां-बाप बहुत मेहनत करते हैं. कुछ घरों में लड़कों और लड़कियों को तो बराबरी की नजर से देखा जाता है. इन घरों में आगे बढ़ने के लिए जो मौके लड़कों को दिए जाते हैं, वही मौके लड़कियों को दिए जाते हैं. लेकिन कुछ परिवार ऐसे हैं, जिनमें लड़कों और लड़कियों में भेदभाव किया जाता है. इन परिवारों में लड़कियों को आगे बढ़ने के वो मौके नहीं दिए जाते, जो लड़कों को मिलते हैं. इन लोगों के बारे में इस्लाम में हिदायत दी गई है. इस्लाम में बताया गया है कि अपनी बेटियों के साथ किस तरह का सुलूक करें.

इस्लाम में हर इंसान बराबर
इस्लाम हर इंसान को बराबर मानता है. इस्लाम मानता है कि बेटे और बेटियां बराबर हैं. हां उनकी अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं. इस्लाम मानता है कि मआशरे में या समाज में हर एक की बराबर हिस्सेदारी है, सबकी अपनी-अपनी अलग जिम्मेदारी है. जिस तरह से समाज में लड़कों की जरूरत है, उसी तरह से लड़कियों की जरूरत है. लड़के और लड़िकयां एक दूसरे की जरूरत हैं. जो शख्स अपनी बेटियों या फिर अपनी बहनों की परवरिश करता है, अल्लाह उनके साथ मेहरबानी का मामला करता है. 

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बेटियों की परवरिश
इस्लाम में बताया गया है कि जिस शख्स ने तीन बेटियों या तीन बहनों की परवरिश की और उनकी शादी की, तो अल्लाह ताला ने ऐसे शख्स के लिए अपने ऊपर जन्नत वाजिब कर ली. मतलब अल्लाह ताला ऐसे शख्स को हर हाल में जन्नत भेजेगा. अगर किसी शख्स की दो बेटियां और दो बहनें हैं और उसने दोनों बेटियों और बहनों की परवरिश की, तालीम दिलाई और उनकी शादी की, तो उनको भी यही बदला दिया जाएगा.

हदीस में बेटियों के साथ सुलूक
मां-बाप अपने बच्चों को किस कदर चाहते हैं और उनके साथ कैसा सुलूक किया जाना चाहिए इस हदीस से जाहिर होता है. "हजरत आइशा (रजि0.) कहती हैं कि मेरे पास एक औरत अपनी बच्चियों के साथ कुछ मांगने के लिए आई. उस वक्त मेरे पास देने के लिए एक खजूर के सिवाए कुछ नहीं था. मैंने वही दे दिया. उसने खजूर के दो टुकड़े किए और एक टुकड़ा दोनों बेटियों को दे दिया: खुद उसमें से कुछ नहीं खाया. फिर वह चली गई. उसके चले जाने के बाद प्रोफेट (स0.) घर आए तो मैंने आप (स0.) के सामने उस औरत का जिक्र किया. आप (स0.) ने फरमाया: जिस शख्स को भी इन बच्चियों के इम्तेहान में डाला गया और उसने इनके साथ अच्छा सुलूक किया तो ये बच्चियां (कयामत के दिन) उसके लिए जहन्नम से बचाव का जरिया बन जाएंगी." (हदीस: बुखारी मुस्लिम)

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