इस्लाम में मातहत कर्मचारियों के अधिकार; क्या कहता है हदीस और कुरान?
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इस्लाम में मातहत कर्मचारियों के अधिकार; क्या कहता है हदीस और कुरान?

Islamic Knowledge: इस्लाम में नौकरों और मुलाजिमों के बारे में खास-तौर जिक्र किया गया है कि उन पर जुल्म न किया जाए. उन पर उनकी ताकत के हिसाब से काम का बोझ डाला जाए.

इस्लाम में मातहत कर्मचारियों के अधिकार; क्या कहता है हदीस और कुरान?

Islamic Knowledge: इस्लाम अपने नौकरों और मुलाजिमों के साथ अच्छा सुलूक करने की नसीहत देता है. प्रोफेट मोहम्मद (स.) के जमाने में लोग अपने गुलामों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे. उन्हें भर पेट खाना नहीं देते थे. कपड़े नहीं देते थे. इसके अलावा उनसे उनकी ताकत से ज्यादा काम लेते थे. इसलिए प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया कि अपने गुलामों और नौकरों पर रहम ( दया) करो. उन्हें अच्छा खिलाओ, अच्छे कपड़े पहनाओ और हल्का फुल्का काम लो.

नौकरों पर हदीस

नौकरों के साथ व्यवहार पर एक हदीस  है कि "हजरत अबु हुरैरा (र.) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (स.) ने फरमाया: गुलाम और बांदी (नौकर- नौकरानी ) का हक ये है कि उन्हें खाना खिलाया जाए और कपड़े दिए जाएं, उन पर काम का उतना ही बोझ डाला जाए, जिसे वे सहन कर सकते हों." (हदीस: मुस्लिम)

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नौकरों के बारे में अहम बातें

इस्लाम में कहा गया है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दे दो. यह बात नौकरों के बारे में भी लागू होती है.
नौकरों के बारे में इस्लाम में कहा गया है कि ये तुम्हारे भाई हैं. अल्लाह ने इन्हें तुम्हारे मातहत किया है. इन्हें खिलाओ और पहनाओ. इनकी ताकत के हिसाब से काम लो.
अगर आप अपने नौकर पर उसकी ताकत से ज्यादा काम डालो तो उसका हाथ बटाओ.
गुलामों या मुलाजिमों को मारने से मना किया गया है. इस बात का खास तौर से जिक्र है कि अपने गुलामों के मुंह पर न मारो.
तुम अपने नौकरों से जितना हल्का काम लोगे तुम्हारे नामे आमाल में उतना ही ज्यादा सवाब लिखा जाएगा.
नौकरों के बारे में जिक्र है कि वह अपना काम पूरी ईमानदारी से करें और अपनी रोजी को अपने काम से हलाल बनाएं.

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