QS World University Rankings : क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-एशिया में भारत के विश्वविद्यालयों की संख्या सबसे अधिक है, जिसने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल पहली बार इस रैंकिंग में शामिल हुए हैं.
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QS World University Rankings : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग एशिया-इंडिया में इस साल भी अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है.
बुधवार को जारी रैंकिंग के मुताबिक, भारत अब 148 विशिष्ट विश्वविद्यालयों के साथ “सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाली उच्च शिक्षा प्रणाली“ है, जिसकी स्थिति में पिछले साल के 37 अंकों का सुधार हुआ है. भारत के बाद 133वें स्थान पर चीन और 96वें स्थान पर जापान बना हुआ है. म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल पहली बार इस रैंकिंग में शामिल हुए हैं.
पिछले साल की तरह, आईआईएससी बैंगलोर, दिल्ली विश्वविद्यालय और पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - बॉम्बे, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर, कानपुर - ने एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में स्थान हासिल किया है.
क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा, " भारत वैश्विक शैक्षणिक समुदाय में अपनी स्थिति को और ऊंचा उठाएगा. क्यूएस रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती स्वीकार्यता भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के गतिशील विस्तार को दर्शाती है. जबकि भारतीय संस्थानों की संख्या और उनके अनुसंधान योगदान में महत्वपूर्ण वृद्धि क्षेत्र की शैक्षिक प्रोफ़ाइल में उल्लेखनीय विकास का सबूत पेश करते हैं."
क्यूएस के बयान में कहा कि हालांकि, भारत शैक्षणिक लोकप्रियता और नियोक्ता रैंकिंग में क्षेत्रीय औसत से नीचे आ गया है. भारत ने पीएचडी संकेतक के साथ कर्मचारियों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ औसत स्कोर हासिल किया है, जो मजबूत अनुसंधान आउटपुट और एक उच्च योग्य संकाय निकाय का संकेत देता है. यह प्रदर्शन भारतीय संस्थानों के लिए अपनी वैश्विक स्थिति को और बढ़ाने के लिए अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता और अनुसंधान क्षमताओं का लाभ उठाने की क्षमता को दर्शाता है."
क्यूएस के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन, 15.4 के स्कोर के साथ, 18.8 के क्षेत्रीय औसत से थोड़ा नीचे है. यह सभी अंतर्राष्ट्रीयकरण रैंकिंग एक व्यापक पैटर्न का संकेत है, जहां भारत दो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को संतुलित करने का प्रयास करता दिखाई दे रहा है. अपनी विशाल घरेलू छात्र आबादी की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भी अवसरों के नए द्वारा खालेगा. हालांकि, दोनों क्षेत्रों में एक साथ दक्षता हासिल करना एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी.
क्यूएस के अनुसार, भारत से बाहर जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के रुझान में भी काफी बदलरव देखा गया है. पिछले 15 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो चीन से अधिक हो गई है. वहीं, भारत अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपनी अपील बढ़ाने के लिए भी काम कर रहा है.
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