Amit Shah on CAA: अमित शाह ने CAA लागू होने के बाद पहली बार इस पर बात की है. उन्होंने उन विपक्षी पार्टियों को जवाब दिया है जिन्होंने कहा था कि यह गैर संवैधानिक है. अमित शाह ने कहा है कि मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है.
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Amit Shah on CAA: भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 11 मार्च को लागू हो गया. इसकी तमाम अपोजिशन पार्टियों ने मुखालफत की है. इस पर आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने विपक्षी दलों पर "झूठ की राजनीति" का सहारा लेने का इल्जाम लगाया है. शाह ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "मैंने विभिन्न प्लेटफार्मों पर कम से कम 41 बार CAA पर बात की है और विस्तार से कहा है कि देश के अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें किसी भी नागरिक के अधिकारों को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है."
यह है मकसद
अमित शाह ने कहा कि सीएए का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देना है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. उन्होंने कहा, मुसलमानों को संविधान के नियमों के मुताबिक भारत में नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है, लेकिन यह कानून इन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है.
वापस नहीं होगा CAA
यह पूछे जाने पर कि विरोध शुरू होने पर क्या सरकार CAA लागू करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है, शाह ने कहा, "CAA कभी वापस नहीं लिया जाएगा." उन्होंने कहा, "यहां तक कि भारतीय गठबंधन भी जानता है कि वह सत्ता में नहीं आएगा. CAA भाजपा और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाया गया है. इसे रद्द करना असंभव है. हम पूरे देश में जागरूकता फैलाएंगे ताकि जो लोग इसे रद्द करना चाहते हैं उन्हें जगह न मिले"
भाजपा ने निभाया वादा
अमित शाह ने इस बात को खारिज किया कि CAA "असंवैधानिक" है. कानून लागू करने की टाइमिंग पर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, “राहुल गांधी, ममता बनर्जी या अरविंद केजरीवाल समेत सभी विपक्षी नेता झूठ की राजनीति में लिप्त हैं, इसलिए टाइमिंग का सवाल ही नहीं उठता.” बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया कि वह सीएए लाएगी और शरणार्थियों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से) को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी. कोविड के कारण इसमें देरी हुई. चुनाव में पार्टी को जनादेश मिलने से पहले ही बीजेपी ने अपना एजेंडा साफ कर दिया था."