Himanta Biswa Sarma: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वीर सावरकर पर टिप्पणी करना ग़लत है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पाप किया है. सीएम ने बताया कि वीर सावरकर के अंग्रेज़ों को ख़त लिखने के पीछे क्या वजह थी?
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Himanta Biswa Sarma: कांग्रेस एमपी राहुल गांधी इस दिनों 'भारत जोड़ो यात्रा' कर रहे हैं. इस दौरान वो सेंट्रल गवर्नमेंट और पीएम मोदी पर लगातार निशाना साध रहे हैं. राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले ही वीर सावरकर के कुछ ख़त दिखाते हुए इल्ज़ाम लगाया था कि उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के लिए काम किया और अपने ख़त में वो ख़ुद को अंग्रेजों का नौकर कहते थे. राहुल गांधी के इस बयान के बाद सियासी हंगामा शुरू हो गया. बीजेपी लीडरों ने उनको निशाना बनाया. असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा गुजरात और हिमाचल चुनाव में बीजेपी के स्टार कैंपेनर है. एक दिन पहले ही वो गुजरात से पार्टी के लिए वोटों की अपील असम पहुंचे हैं.
'सावरकर ने 26 साल जेल में गुज़ारे'
सीएम हिमंत ने कहा कि सावरकर ने देश की ख़ातिर 26 साल जेल में गुज़ारे. असली कहानी यह है कि अंग्रेजों से उनकी मर्सी पिटीशन जेल से बाहर आने के लिए उनकी तरफ़ से एक रणनीति भरी चाल थी. सरमा ने कहा कि जिन लोगों ने देश के लिए कोई योगदान नहीं दिया है, उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों से सवाल करने का कोई अधिकार नहीं. सीएम ने कहा कि क्योंकि सावरकर के पास हमारी मातृभूमि के लिए एक बड़ा विजन था, जिसे वो अपने जीवन में पूरा करना चाहते थे इस वजह से उन्होंने ऐसा क़दम उठाया. वो जेल से बाहर आने और देश की सेवा करने में कामयाब हुए.
राहुल गांधी ने उठाया था मुद्दा
हिमंता बिस्वा सरमा से एक सवाल पूछा गया कि कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने हाल ही में एक रैली में सावरकर की मर्सी पिटीशन दिखाई. इसके बाद उन्होंने कहा कि वह अंग्रेजों की अधीनता के लिए तैयार थे? सीएम ने जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी जो कर रहे हैं वह गुनाह है. हम कौन होते हैं सावरकर, अंबेडकर या गांधी जैसे लोगों पर कुछ भी कहने वाले. उन्होंने कहा कि देश की ख़ातिर 26 साल जेल में गुज़ारने वाले शख़्स पर ग़लत नज़रिया नहीं रखा जा सकता. कांग्रेस एमपी राहुल गांधी ने कहा कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों को लिखे एक ख़त में कहा, "सर, मैं आपके सबसे आज्ञाकारी सेवक बने रहने की विनती करता हूं" और उस पर हस्ताक्षर किए. सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की. उन्होंने डर के मारे पत्र पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं को धोखा दिया.
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