Monkeypox के मरीजों के लिए सरकार ने जारी किए दिशानिर्देश; 21 दिनों का पृथक-वास जरूरी
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Monkeypox के मरीजों के लिए सरकार ने जारी किए दिशानिर्देश; 21 दिनों का पृथक-वास जरूरी

21-day isolation guidelines in monkeypox Infection:  दिल्ली में 24 जुलाई को पहले मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आए 14 अफराद की पहचान की गई है, और इसे और भी बढ़ने के खतरे को देखते हुए सरकार ने एहतियाती उपाय किए हैं औश्र नागरिकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः मंकीपॉक्स के मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों के लिए केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में 21 दिन का क्वारंटीन पीरियड, मास्क पहने रहना, बार-बार हाथ साफ करना, जख्मों को पूरी तरह से ढककर रखना और उसके मुकम्मल तौर पर ठीक होने का इंतजार करना शामिल है. दिशानिर्देश मई में जारी किए गए थे और दिल्ली सरकार ने अपने अस्पतालों और 11 राजस्व जिलों को उनका पालन करने का निर्देश दिया था.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में 24 जुलाई को मंकीपॉक्स का एक आधकारिक तौर पर पुष्ट मामला सामने आया था, जिससे देश में ऐसे मरीजों की कुल तादाद चार हो गई है.

दिल्ली में अबतक 14 लोग संक्रमित 
सूत्रों ने कहा कि अब तक दिल्ली के पहले मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आए 14 अफराद की पहचान की गई है, और उनमें से किसी को भी लक्षण नहीं दिखे हैं. संपर्क में आए एक शख्स को बदन में दर्द की शिकायत हुई थी, लेकिन वह अब ठीक है और कोई लक्षण नहीं है. वहीं, मंकीपॉक्स के एक दूसरे संदिग्ध मरीज को दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उसके नमूने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे भेजे गए हैं. 

क्या है मंकीपॉक्स ? 
मंकीपॉक्स, वायरस से होने वाला संक्रामक बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है. इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं, हालांकि चिकित्सकीय रूप से यह उतना गंभीर नहीं होता है.

मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के लक्षण 
मंकीपॉक्स आम तौर पर तेज बुखार, सिरदर्द, तीन सप्ताह तक चकत्ते, गले में खराश, खांसी और अंगों में सूजन के साथ उभरता है. लक्षणों में जख्म भी शामिल होते हैं, जो आम तौर पर बुखार की शुरुआत के एक से तीन दिनों के अंदर दिखाई देते हैं और लगभग दो से चार सप्ताह तक चलते हैं. खुजली के साथ स्वस्थ होने का चरण आने तक इनमें अकसर दर्द होता है. 

मंकीपॉक्स के संपर्क में कैसे आ सकते हैं ?
संपर्क की पहचान करने की प्रक्रिया के बारे में एक अफसर ने कहा कि कोई शख्स जो संक्रमित इंसान के संपर्क में आमने-सामने, सीधे शारीरिक संपर्क के जरिए आता है, या दूषित सामग्री जैसे कपड़े या बिस्तर के संपर्क में आता है, उसे प्राथमिक संपर्क के रूप में पहचाना जाता है. जिला निगरानी दल संपर्क में आए लोगों से लक्षणों की खुद निगरानी करने और अफसरों के संपर्क में रहने को कहते हैं. 

मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर क्या करें ? 
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जो हेल्थवर्कर मंकीपॉक्स के मरीजों या संभावित रूप से दूषित सामग्री के संपर्क में हैं, उन्हें लक्षणहीन होने पर ड्यूटी से बाहर रखने की जरूरत नहीं है, लेकिन 21 दिन के लिए निगरानी रखी जानी चाहिए.

संक्रमित इंसान को तीन प्लाई वाला मास्क पहनना चाहिए, जबकि त्वचा के जख्मों को हर मुमकिन सीमा तक ढककर रखना चाहिए, जिससे कि दूसरे लोगों के इसके संपर्क में आने का जोखिम किया जा सके.

मरीजों को तब तक क्वारंटीन में रहना चाहिए जब तक कि सभी जख्म ठीक नहीं हो जाते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती.
मुख्य रूप से, संपर्क में आए लोगों को खुद को अलग कमरे में रखना चाहिए, लेकिन वे एक ही कमरे में भी रह सकते हैं. उन्हें मास्क पहनना चाहिए. हाथों की सफाई और सामाजिक दूरी के मानदंड का पालन करना चाहिए.

संपर्क में आए लक्षणविहीन लोगों को निगरानी के दौरान खून, कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों या वीर्य का दान नहीं करना चाहिए.

मंकीपॉक्स से अब तक पांच की मौत 
उल्लेखनीय है कि इस साल मई में, कई गैर-स्थानिक देशों में मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान की गई थी. विश्व स्तर पर, अब तक 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, और इसकी वजह से अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है.

टीका विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता हैः आईसीएमआर 
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को अलग कर दिया है, जो बीमारी के खिलाफ जांच ​​किट और टीके के विकास का रास्ता हमवार कर सकता है. अधिकारियों ने बुधवार को कि भारत द्वारा वायरस को अलग किए जाने के साथ ही आईसीएमआर ने टीका विकास और जांच किट बनाने में संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी टीका निर्माताओं, फार्मा कंपनियों, अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा इन-विट्रो डायग्नोस्टिक किट निर्माताओं से रुचि पत्र भी आमंत्रित किया. 

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