हरियाणा का गांव जहाँ मरने के बाद मुर्दों को नहीं मिलती 2 गज ज़मीन; लोग घरों में दफना देते हैं लाश!
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हरियाणा का गांव जहाँ मरने के बाद मुर्दों को नहीं मिलती 2 गज ज़मीन; लोग घरों में दफना देते हैं लाश!

Charkhi-Dadri Cemetery: हरियाणा के गुडाना गांव में मुस्लिम समुदाय के करीब 50 परिवार रह रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान न होने के कारण शवों को कॉलोनी में अपने घर के परिसर में ही दफनाना पड़ रहा है.

हरियाणा का गांव जहाँ मरने के बाद मुर्दों को नहीं मिलती 2 गज ज़मीन; लोग घरों में दफना देते हैं लाश!

Charkhi-Dadri Cemetery: हरियाणा के चरखी दादरी जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां गुडाना गांव में कब्रिस्तान नहीं है. जिसके चलते लोग अपने परिजनों के शवों को अपने घर के परिसर में ही दफनाने पर मजबूर हैं.  इस बीच मुस्लिम समाज के लोगों ने बड़ा फैसला लिया है. जिससे अधिकारियों के होश उड़ गए हैं.

दरअसल, कब्रिस्तान के लिए जमीन न होने को लेकर ग्रामीण कई सालों से अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक सभी से मिल चुके हैं, लेकिन आश्वासनों के अलावा कोई समाधान नहीं निकला है. अब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिवार के किसी भी सदस्य की मौत होने पर शवों को अधिकारियों के दरवाजे पर रखकर विरोध जताने का फैसला लिया है. 

वहीं गांव में चकबंदी प्रक्रिया न होने की वजह ग्राम पंचायत द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है. ऐसे में ग्रामीण उधार के श्मशान घाटों में भी शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अधिकारी जमीन का मामला कोर्ट में होने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.

क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि झोझू कलां खंड के गांव गुडाना में मुस्लिम समुदाय के करीब 50 परिवार रह रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान न होने के कारण शवों को कॉलोनी में अपने घर के परिसर में ही दफनाना पड़ रहा है. कॉलोनी में कब्रों के बीच रहना इन लोगों के लिए आम बात हो गई है. यहां के लोगों का कहना है कि पंचायत के पास कब्रिस्तान के लिए जगह नहीं है और श्मशान घाट भी दूसरे गांव की जमीन पर है. ऐसे में उन्हें मजबूरी में शवों को अपने घर के परिसर में ही दफनाना पड़ रहा है. लोगों को घर में खाना खाते हुए भी डर लगता है, वहीं आसपास के लोग भी उनके घर आने से डर रहे हैं. 

अधिकारियों के दरवाजे पर करेंगे प्रोटेस्ट
कब्रिस्तान के लिए स्थाई जगह के लिए वे अधिकारियों और मंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. अब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध करते हुए चेतावनी दी कि इस बार अगर किसी की मौत हुई तो वे शव लेकर अधिकारियों के दरवाजे पर जाएंगे और विरोध जताएंगे.

एक बुजुर्ग को दफनाने के लिए तीन करना पड़ा इंतजार
एक ग्रामीण बताया कि पिछले दिनों जब उनके परिवार में एक बुजुर्ग महिला की मौत हुई तो शव को दफनाने के लिए उन्हें तीन दिन तक इंतजार करना पड़ा. आखिरकार शव को घर के परिसर में ही दफना दिया गया. अब तक प्लॉट में एक दर्जन शव दफनाए जा चुके हैं. कब्रिस्तान के लिए बार-बार मांग करने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ. अब वे शव के साथ अधिकारियों के दरवाजे पर धरना देंगे.

चकबंदी न होने से है समस्या
गांव गुडाना के सरपंच रविंद्र कुमार ने बताया कि गांव में जमीन की चकबंदी न होने से कब्रिस्तान व श्मशान के लिए जमीन नहीं है. मामला हाईकोर्ट में होने के कारण पंचायत की जमीन कब्रिस्तान व श्मशान के लिए आवंटित नहीं हो पा रही है. मुस्लिम समुदाय के अलावा ग्रामीण भी बेबस हैं. जल्द ही अधिकारियों से मिलकर कब्रिस्तान व श्मशान के लिए जमीन की मांग की जाएगी.

जमीन का मामला हाईकोर्ट में है लंबित
खंड विकास अधिकारी स्वाति अग्रवाल ने कैमरे के सामने आने से इनकार करते हुए बताया कि गांव गुडाना में कब्रिस्तान न होने की शिकायत मिली है. तहसीलदार व राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गांव की जमीन की चकबंदी का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. न्यायालय का निर्णय आने पर ही इसका स्थायी समाधान होगा.

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