Aditya-L1 पहला उपग्रह होगा जो सूर्य के इस हिस्से का करेगा अध्ययन
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Aditya-L1 पहला उपग्रह होगा जो सूर्य के इस हिस्से का करेगा अध्ययन

Aditya-L1 launched: भारत द्वारा 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने के दो साप्ताह के अंदर ही सूर्य के अध्ययन के लिए उपग्रह भेजना अंतरीक्ष में भारत के बढ़ते दबदबे का सबूत देता है. 

Aditya-L1 पहला उपग्रह होगा जो सूर्य के इस हिस्से का करेगा अध्ययन

श्रीहरिकोटाः चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास एक कामयाब मानव रहित मिशन भेजने के सिर्फ दो सप्ताह के अंदर भारत ने शनिवार को सूर्य ग्रह की जानकारी हासिल करने के लिए अपना पहला अंतरिक्ष मिशन लॉन्च कर दिया है. शनिवार को सुबह 11 बजकर 5व मिनट पर आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान ने एक उपग्रह प्रक्षेपण यान पर सवार होकर उड़ान भर दिया है. जमीन  से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर (930,000 मील) दूर एक बिंदु से सूर्य का अध्ययन करने के लिए दक्षिण भारत के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस मिशन को भेजा गया है.

Aditya-L1 launched: भारत द्वारा 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने के दो साप्ताह के अंदर ही सूर्य के अध्ययन के लिए उपग्रह भेजना अंतरीक्ष में भारत के बढ़ते दबदबे का सबूत देता है.

Aditya-L1 launched: भारत द्वारा 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने के दो साप्ताह के अंदर ही सूर्य के अध्ययन के लिए उपग्रह भेजना अंतरीक्ष में भारत के बढ़ते दबदबे का सबूत देता है. सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर, फोटोस्फीयर और सौर हवा का अध्ययन करने के लिए यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड से सुसज्जित किया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा, ’’भारत 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया था. वहीं, अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडर स्थापित करने वाला चौथा देश बन गया है. 

 

आदित्य एल1 मिशन की सफल उड़ान के बाद भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु के निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, ’’यह मिशन सूर्य के सबसे अंदरूनी हिस्से कोरोना की जांच करने वाला पहला मिशन होगा. हमने आदित्य एल1 को ले जाने वाले लॉन्च वाहन पर मुख्य उपकरण लगाया है. यह विज़िबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है. यह सूर्य को हर वक्त ग्रहण की स्थिति में देखेगा. अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जिससे बिना किसी ग्रहण या रुकावट के सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा.’’ 

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मयंक एन वाहिया ने बताया कि एल1 बिंदु पर गया आखिरी सौर मिशन आदित्य एल1 से पांच साल पहले लॉन्च किया गया था. उन्होंने कहा, “मिशन ऑप्टिकल, यूवी और एक्स-रे में एक साथ सूर्य का निरीक्षण करेगा.“
भारत के सौर मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सौर कोरोना की भौतिकी और इसके ताप तंत्र, सौर वायु त्वरण, सौर वायुमंडल की युग्मन और गतिशीलता, सौर वायु वितरण और तापमान अनिसोट्रॉपी, और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की उत्पत्ति का अध्ययन शामिल है. आदित्य-एल1 मिशन सूर्य के व्यवहार और जमीन के साथ अंतरिक्ष पर्यावरण के साथ उसकी अंतःक्रिया के बारे में हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने का काम करेगा. 

लॉन्चिंग के बाद आदित्य-एल1 सोलर मिशन पर उस्मानिया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रुक्मिणी जागीरदार ने, ’इससे पता चलेगा कि इसरो कितनी दूर तक जा सकता है और अपनी क्षमता साबित कर सकता है. यह पहली बार है जब भारत कोई सैटेलाइट भेजने जा रहा है, अंतरिक्ष में सूर्य की निगरानी करने के लिए. अमेरिका, यूरोप, जापान के कई उपग्रहों के बाद, बहुत कम देशों ने सूर्य की खोज की है. भारत का यह मिशन मील का पत्थर बनाने जा रहा है. अभी सूर्य का अवलोकन करने वाले उपग्रहों का जीवनकाल समाप्त होने वाला है. 

Zee Salaam

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