Film director acquitted in sexual harassment case: फिल्म निदेशक सुभाष कपूर पर साल 2014 में एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस ममाले में अदालत ने प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी का हवाला देकर मुल्जिम को बरी कर दिया है.
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मुंबईः मुंबई की एक अदालत ने फिल्म निदेशक सुभाष कपूर को साल 2014 के एक यौन उत्पीड़न मामले में इल्जामों से बरी कर दिया है. अदालत ने पाया कि मुल्जिम के खिलाफ शिकायत करने में एक मैच्योर और पढ़ी-लिखी महिला की तरफ से चुप्पी बरती गई और प्राथमिकी दर्ज करने में देरी से घटना की सच्चाई को लेकर संदेह पैदा होता है. इस मामले में साल 2014 में पेशे से सहाफी और शिकायतकर्ता महिला की तरफ से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. महिला ने दावा किया था कि मई 2012 में निदेशक ने उसके घर में उसके साथ दुर्व्यवहार किया था.
वह बचाव के लिए शोर मचा सकती थी
कपूर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (अंधेरी) ए.आई.शेख ने 12 दिसंबर को आरोपों से बरी कर दिया था, लेकिन विस्तृत आदेश शनिवार को मुहैया कराया गया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता ने वारदात के वक्त कोई ऐतराज नहीं जताया जबकि वह बचाव के लिए शोर मचा सकती थी. अदालत ने कहा कि अभियोजक यह भी साफ करने में नाकाम रहा कि क्यों उसने, उसके रिश्तेदारों और दोस्तों ने मुल्ज्मि के खिलाफ कदम उठाने से खुद को अलग रखा.
देरी को लेकर कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया गया
शिकायत के मुताबिक मुल्जिम और उसके कुछ अन्य दोस्त मई 2012 में उसके घर रात का खाना खाने और पीने के बाद आए थे. शिकायत के मुताबिक ग्रुप के ज्यादातर लोग रात ढाई बजे तक मुल्जिम के घर से वापस चले गए, लेकिन आरोपी अपने बेडरूम में चला गया और वह कुछ देर तक नहीं लौटा. दर्ज शिकायत के मुताबिक पता करने के लिए भेजे गए एक दूसरे दोस्त ने आकर कहा कि आरोपी शख्स की हालत ठीक नहीं है और फिर वह दोस्त भी वहां से अपने घर चला गया, लेकिन इसके बाद आरोपी ने शिकायतकर्ता के कमरे में आकर उससे दुर्व्यवहार किया. इस मामले में अदालत ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने में की गई दो साल की देरी को लेकर कोई संतोषजनक कारण या जवाब नहीं बताया गया.
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