देश के खिलाफ साजिश के लिए मिली थी 7 साल की सजा, दिल्ली HC ने 5 साल बाद इंडियन मुजाहिदीन के को-फाउंडर को दी जमानत
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देश के खिलाफ साजिश के लिए मिली थी 7 साल की सजा, दिल्ली HC ने 5 साल बाद इंडियन मुजाहिदीन के को-फाउंडर को दी जमानत

Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी ऑर्गेनाइजेशन इंडियन मुजाहिदीन (IM) के को-फाउंडर अब्दुल सुभान कुरैशी को बड़ी राहत दी है. दिल्ली पुलिस ने कुरैशी को एक जून, 2019 को अरेस्ट किया था.  

देश के खिलाफ साजिश के लिए मिली थी 7 साल की सजा, दिल्ली HC ने 5 साल बाद इंडियन मुजाहिदीन के को-फाउंडर को दी जमानत

Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी ऑर्गेनाइजेशन इंडियन मुजाहिदीन (IM) के को-फाउंडर अब्दुल सुभान कुरैशी को एक मामले में जमानत दे दी है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने उसके जेल में पांच साल बिताने पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि जमानत की शर्तों पर फैसला लोअर कोर्ट करेगी.

बेंच ने कहा, "यदि लोअर कोर्ट द्वारा तय की गई किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है या अपीलकर्ता (कुरैशी) डाइरेक्ट या इनडाइरेक्ट दोनों रूप से किसी गवाह को धमकाने या प्रभावित करने की कोशिश करता है या मुकदमे में देरी करने का प्रयास करता है, तो प्रॉसिक्यूटर्स बेल कैंसिल कराने की अपील करने के लिए स्वतंत्र है." हाई कोर्ट ने लोअर कोर्ट के दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली कुरैशी की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है.

दरअसल, लोअर कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में कुरैशी की बेल पिटीशन को खारिज कर दिया था.  सुभान कुरैशी ने क्रिमिनल प्रोसिजर के तहत जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि एक अंडर ट्रायल प्रिजनर (यूटीपी) को निजी मुचलके पर अधिकतम संभावित सजा की आधी से अधिक सजा काटने पर जमानत मांगने का हक है. कुरैशी के वकील प्रशांत प्रकाश और कौसर खान ने कोर्ट से उसे लंबे वक्त तक विचाराधीन कैदी के रूप में कस्टडी में रहने के बुनियाद पर जमानत देने का आग्रह किया था.

उन्होंने इस दौरान कहा कि वह मुकदमे के इंतजार में तकरीबन पांच साल से हिरासत में है, जो इस जुर्म के लिए निर्धारित सजा का आधा हिस्सा है. कुरैशी को जिस जुर्म के लिये जेल में रखा गया है, उसके लिये अधिकतम कारावास की सजा 7 साल है. वकीलों ने कोर्ट को बताया कि कथित अपराधों के लिए मुल्जिम के खिलाफ कई धाराओं में आरोप तय किए जा चुके हैं.

प्रॉसिक्यूशन के मुताबिक, कुरैशी इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का एक्टिव मेंबर रहा है. अभियोजन पक्ष का कहना था कि 27 सितंबर 2001 को सेंट्रल गवर्नमेंट ने सिमी पर बैन लगा दिया था और उसी रात दिल्ली पुलिस को जाकिर नगर में ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की जानकारी मिली थी. उसने कहा कि जाकिर नगर में सिमी के दफ्तर पर छापा मारा गया, जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा था और ऑर्गेनाइजेशन के मेंबर भारत सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे.

इस दैरान पुलिस ने वहां से कुछ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि कुरैशी समेत कुछ अन्य लोग वहां से फरार हो गए.  हालांकि,  दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कुरैशी को एक जून, 2019 को अरेस्ट कर लिया था.  

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