Maternity Leave: सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली औरतों को अब बच्चे की देखभाल के लिए 6 महीने की छुट्टी मिलेगी. इसी के साथ पुरुषों को 15 दिन की छुट्टी मिलेगी. इससे पहले औरतों को सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली औरतों को मैटरनिटी लीव नहीं मिलती थी.
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Maternity Leave: सरकारी महिला कर्मी सरोगेसी (किराये की कोख) के जरिए बच्चा होने की सूरत में 180 दिन का मातृत्व अवकाश ले सकती हैं. केंद्र सरकार ने इस संबंध में 50 साल पुराने नियम में संशोधन की घोषणा की है. केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 में किए बदलावों के अनुसार, "अधिष्ठाता मां" (सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे को पालने वाली मां) बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश ले सकती है और साथ ही "अधिष्ठाता पिता" 15 दिन का पितृत्व अवकाश ले सकता है.
औरतों को 180 दिन की छुट्टी
कार्मिक मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संशोधित नियमों में कहा गया है, "सरोगेसी की दशा में, सरोगेट के साथ ही अधिष्ठाता मां को, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, एक अथवा दोनों के सरकारी सेवक होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है." अभी तक सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की सूरत में सरकारी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई नियम नहीं था.
पुरुष को अवकाश
नए नियमों में कहा गया है, "सरोगेसी के माध्यम से बच्चा होने के मामले में अधिष्ठाता पिता, जो सरकारी सेवक है, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे बच्चे के जन्म की तारीख से छह माह के भीतर 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है." इन नियमों को 18 जून को अधिसूचित किया गया. इसमें कहा गया है कि सरोगेसी की दशा में, अधिष्ठाता मां, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे शिशु देखभाल अवकाश दिया जा सकता है. मौजूदा नियमों से "किसी महिला सरकारी सेवक और एकल पुरुष सरकारी सेवक" को दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए जैसे कि शिक्षा, बीमारी और इसी तरह की जरूरत होने पर पूरे सेवाकाल के दौरान अधिकतम 730 दिन का शिशु देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) दिया जा सकता है.