बांग्लादेश पर अकेले 1 मिलियन रोहिंग्या का बोझ; जानिए, शरणार्थियों को लेकर क्या है सरकार का प्लान
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बांग्लादेश पर अकेले 1 मिलियन रोहिंग्या का बोझ; जानिए, शरणार्थियों को लेकर क्या है सरकार का प्लान

Bangladesh: संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश को 1 मिलियन से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों का बोझ अकेले नहीं उठाना चाहिए. जबकि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को उन्हें खिलाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.ये सारी बातें ओलिवियर डी शटर ने कही जो 12 दिन के यात्रा पर आये थे.

 

बांग्लादेश पर अकेले 1 मिलियन रोहिंग्या का बोझ; जानिए, शरणार्थियों को लेकर क्या है सरकार का प्लान

Bangladesh: संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश को 1 मिलियन से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों का बोझ अकेले नहीं उठाना चाहिए. जबकि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को उन्हें खिलाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.ओलिवियर डी शटर  (अत्यधिक गरीबी और संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मानवाधिकार ) ने बांग्लादेश की 12-दिवसीय यात्रा के अंत में यह बयान दिया.

और उन्होंने म्यांमार के शरणार्थियों के शिविरों का दौरा भी किया. और उन्होंने कहा कि शरणार्थियों का समर्थन करने के लिए आवश्यक धनराशि को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया काफी अपर्याप्त है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह  है कि बांग्लादेश को अपने दम पर शरणार्थियों का बोझ उठाने के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए.यह बहुत निंनदनीय है.

शरणार्थी को दिए जाने वाले मासिक भोजन भोजन वाउचर में कटौती 
UN एजेंसियों को उनके ( Bangladesh ) काम में बेहतर समर्थन दिया जाना चाहिए और डी शटर ने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम को मई में कहा गया था कि वह प्रत्येक शरणार्थी को दिए जाने वाले मासिक भोजन वाउचर का मूल्य 12 डॉलर से घटाकर 10 डॉलर कर दे.जिसको लेकर के उन्होंने कहा कि 1 जून को इसे घटाकर 8 डॉलर कर दिया जाएगा.

शिविरों में बच्चे  हैं कुपोषित के शिकार
इस संदर्भ में इस वर्ष खाद्य मुद्रास्फीति लगभग 8% थी और इसका मतलब है कि शिविरों में बच्चे कुपोषित हैं. और डी शुटर ने कहा कि कुपोषण की दर में वृद्धि होगी जैसे  स्टंटिंग की दर में वृद्धि होती है. और बांग्लादेश ने 1 मिलियन से अधिक शरणार्थियों को आश्रय दिया है क्योंकि मुस्लिम रोहिंग्या मुस्लिम बहुसंख्यक म्यांमार में व्यापक भेदभाव का सामना करते हैं. जहां पर अधिकांश को नागरिकता और अन्य अधिकारों से वंचित रखा जाता है. 

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प्रधानमंत्री शेख हसीना ने क्या कहा 
2017 के अगस्त के अंत में शुरू हुई विद्रोह के कारण 700,000 से अधिक म्यांमार के मुस्लिम बांग्लादेश भाग गए. म्यांमार की सेना ने एक विद्रोही समूह के हमलों के बाद उनके खिलाफ "निकासी अभियान" शुरू किया था.और दो साल पहले सैन्य अधिग्रहण के बाद म्यांमार में सुरक्षा की स्थिति खराब हो गई थी. बांग्लादेश वर्तमान में म्यांमार में रोहिंग्या के प्रत्यावर्तन शुरू करने के लिए  एक पायलट मामले के रूप में चीन के साथ काम कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने पहले कहा था कि वे इस तरह के कदम के बारे में जानते थे लेकिन इसका हिस्सा नहीं थे. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि वह किसी भी शरणार्थी को म्यांमार जाने के लिए मजबूर नहीं करेंगी.

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