पेट्रोल और डीजल की मांग में कमी आने से सऊदी अरब काफी फिक्रमंद है. एक तरफ भारत, अमेरिका और चीन जैसे बडे़ देश ग्रीन एनर्जी की तरफ फोकस कर रही हैं, तो दूसरी तरफ इससे अरब की चिंताएं बढ़ी हुई है, जिससे निपटने के लिए सऊदी ने एक नया प्लान बनाया है.
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अमेरिका, भारत और चीन जैसी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अब तेजी से पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों का अच्छा विकल्प तलाश रही है, जो इको फ्रेंडली के साथ-साथ कॉस्ट इफिसिएंट हो. ऐसे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ बढ़ता रुझान और हाइड्रोजन से कार जैसी चीज़ों को चलाने की टेक्नोलॉजी के विकसित होने से दुनिया में तेल की मांग का कम होने का खतरा है. तेल की मांग घटने का सबसे ज्यादा असर सऊदी अरब, कतर, ईरान, इराक जैसे देशों पर पड़ेगा. ये वो देश हैं जिनकी इकॉनमी कच्चे तेल के कारोबार से ही चल रही है.
सऊदी अरब ने अब इस समस्या से निपटने और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत रखने के लिए नए प्रयास शुरू कर दिए हैं. हालांकि, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पहले से ही विजन 2030 के तहत इस पर काम कर रहें हैं.
क्या है ODSP प्लान
सऊदी अरब ने बाजार में घटती तेल की मांग से उठने वाली समस्या से निपटने के लिए एक नया प्लान ODSP प्लान लांच किया है. ODSP प्लान यानी आॉइल डिमांड सस्टेनेबिलिटी प्रोग्राम. ODSP प्लान के तहत सऊदी अरब, अफ्रीका में अपना निवेश कर रहा है, ताकि वहां तेल की मांग को बढ़ाया जाए और फिर सप्लाई करके तेल के कारोबार को बचाया जा सके. दरअसल, इस प्लान के तहत अफ्रीकी देशों में कार, बस और विमानों में तेल की खपत को बढ़ावा देने पर काम होगा.
ODSP प्लान का मकसद क्या है
इस प्लान के तहत सऊदी अरब का सबसे बड़ा लक्ष्य आर्टफिशियल तरीकों से कुछ बड़े बाजारों में तेल की डिमांड को बढ़ाना है. अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए सऊदी अरब हाइपरसोनिक एयर ट्रैवल को बढ़ावा देगा. दरअसल आम प्लेन की तुलना में हाइपरसोनिक प्लेन में ईंधन की खपत तीन गुणा ज्यादा होती है.
इसके अलावा सऊदी अरब अब कार कंपनियों से भी हाथ मिलाना चाहती है, जिससे कार कंपनियों के साथ मिलकर वे ऐसे इंजन तैयार कर सकें जिसमें तेल की खपत आम कार से बहुत कम होती हो जिससे लोगों में पेट्रोल-डीजल के प्रति क्रेज बना रहे.