'अग्निवीर’ पर शोर जवानों पर सन्नाटा; 5 साल में आर्मी के इतने जवानों ने कर ली आत्महत्या !
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'अग्निवीर’ पर शोर जवानों पर सन्नाटा; 5 साल में आर्मी के इतने जवानों ने कर ली आत्महत्या !

Suicide case in Indian Forces: देश के तीनों सेनाओं के जवान और कर्मचारी तनाव और हताशा के शिकार होकर आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठा रहे हैं. पिछले पांच सालों में लगभग 819 कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली है.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः भारत के जल-थल और वायु सेना (Army, Navy and Air Force) में भर्ती की नई स्कीम ’अग्निवीर’  (Agniveer) को लेकर एक तरफ जहां सरकार इसके फायदे गिनाने से नहीं थक रही है, वहीं विपक्ष इसकी खामियां गिनाने में व्यस्त है. पिछले दिनों इस इस भर्ती योजना की घोषणा के साथ ही देशभर में सेना भर्ती की तैयारी करने वाले और बेरोजगार युवकों ने इसके विरोध में हिंसक विरोध-प्रदर्शन किए थे. इसमें सैकड़ों करोड़ की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. हालांकि इन सबके बीच एक बड़ा मसला जो सरकार में या फिर लोक विमर्श का मुद्दा नहीं बन पाता है, वह है हर साल तीनों सेना में भारी संख्या में जवानों के आत्महत्या (Suicide) का मामला. अक्सर ऐसी खबरें आती रहती है कि जवान ने अपने साथियों को गोली मारकर आत्महत्या (Suicide) कर ली या फिर सेना के जवान ने खुदकशी कर ली. सेना में आत्महत्या के ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. 

पांच साल में कुल 819 जवानों ने की आत्महत्या
सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में  बताया है कि पिछले पांच साल के दौरान थल सेना के 642 कर्मियों ने आत्महत्या कर ली है. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी उपलब्ध कराई है.  पिछले पांच साल के दौरान तीनों सेनाओं के कुल 819 जवानों ने आत्महत्या की है जबकि अगर सिर्फ थल सेना की बात करें तो इस दौरान सबसे ज्यादा 642 आर्मी के जवानों ने खुदकशी की है. हालांकि ये आंकड़ा वायु सेना और नौसेना में आर्मी की अपेक्षा काफी कम है. पिछले पांच सालों में वायु सेना में जहां 148 जवानों ने मौत को गले लगा लिया, वहीं नौसेना के 29 कर्मियों ने आत्महत्या कर ली.

सेना में है वर्कफोर्स की भारी कमी 
विशेषज्ञों की माने तो सेना में बड़े पैमाने पर होने वाली आत्महत्या के मामलों के पीछे वहां भारी मात्रा में वर्फफोर्स की कमी है. काम के बोझ और समय में अवकाश न मिलने के कारण जवान भारी तनाव से गुजर रहे होते हैं. ऐसे में कभी-कभी वह हिंसक हो जाते हैं और आत्महत्या जैसे गंभीर कदम तक उठा लेते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थल सेना में 7,799 अफसरों और 1,08,685 जवानों की कमी है. वहीं नौसेना में 1,446 अफसरों और 12,151 नाविकों और वायुसेना में 572 अधिकारियों और 5,217 एयरमैन की कमी है.

सरकार कर रही है जवानों की काउंसलिंग की व्यवस्था 
सेना में बड़े पैमाने पर सामने आ रहे आत्महत्या के मामले पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि सेना में तनाव और आत्महत्या की घटनाओं में कमी लाने के लिए सशस्त्र सेनाएं लगातार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि मनोरोग के साथ उदासी और आत्मघाती प्रवृति वाले जवानों की पहचान करने और उनके लिए मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तैयार किया गया है. समय-समय पर उनकी काउंसलिंग की जाती है. यहां तक कि अवकाश के बाद वापस यूनिट में लौटने वाले सभी जवानों और कर्मचारियों का रेजिमेंट के डॉक्टरों द्वारा साक्षात्कार, काउंसलिंग व जांच की जाती है. मंत्री ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं में तनाव मुक्ति के एक साधन के तौर पर योग अभ्यास की शुरुआत की गई है.

कोविड के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई : राजनाथ  
पिछले दो साल में तीनों सेनाओं में कुल 37,301 कर्मियों की ही बहाली हुई है, जबकि हर साल औसतन 60,000 रिक्तियां निकलती है. तीनों सेनाओं में 2019 में 95,843 कर्मियों की भर्ती की गई और थल सेना में सबसे ज्यादा 81,812 कर्मियों की भती की गई जबकि वायुसेना में 7,548 और नौसेना में 6,483 कर्मी भर्ती किए गए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक, 2020 और 2021 में भर्ती प्रक्रिया कोविड महामारी की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. इसकी वजह से थल सेना की भर्ती में सरकार को कटौती करनी पड़ी.राजनाथ सिंह ने कहा है कि कोविड की स्थिति में सुधार होने और भर्ती की प्रक्रिया आरंभ होने से आगामी वर्षों में इन रिक्तियों में कमी आने की संभावना है. उन्होंने कहा कि थल सेना ने 40,000 पदों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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