"हिंदी भाषी पानी पूरी बेचते हैं" बयान के बाद दूसरे नेता ने कहा- "हिंदी शूद्रों की भाषा"
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1210376

"हिंदी भाषी पानी पूरी बेचते हैं" बयान के बाद दूसरे नेता ने कहा- "हिंदी शूद्रों की भाषा"

तमिल नयूड के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने महीना भर पहले एक बयान में कहा था कि हिंदी भाषी लोग पानी पूरी बेचते हैं, अब द्रमुक नेता और राज्यसभा सदस्य टीकेएस एलनगोवन ने कहा है कि हिंदी पढ़ने वाले लोग ’शूद्र’ बन जाएंगे. 

टीकेएस एलनगोवन

चेन्नईः द्रमुक नेता और राज्यसभा सदस्य टीकेएस एलनगोवन ने अपने एक मुतनाजा बयान में दावा किया है कि हिंदी तमिलों का दर्जा घटाकर उसे ‘शुद्र’ जैसे हालात में पहुंचा देगी. उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी राज्य मुल्क के विकसित प्रदेश नहीं हैं जबकि जिन राज्यों की मातृ भाषा लोकल जुबान है, वे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. एलनगोवन ने यहां हाल में भाषा थोपने को लेकर द्रविड़र कझगम की जानिब से आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि ‘हिंदी को लादकर मनुवादी नजरिया थोपने’ की कोशिश की जा रही है.  उनकी यह टिप्पणी वायरल हो गई है.

गैर हिंदी भाषी प्रदेश विकसित और हिंदी भाषी प्रदेश हैं पिछड़े 
द्रमुक नेता ने हिंदी की पैरवी करने के लिए अमित शाह की भी अलोचना की. उन्होंने कहा कि हिंदी क्या करेगी? सिर्फ हमें शुद्र बनाएगी. यह हमें फायदा नहीं देगी.” भारत के प्रचलित वर्ण व्यवस्था में ‘शुद्र’ शब्द का इस्तेमाल सबसे निचले वर्ण के लिए किया जाता है. एलनगोवन ने पूछा कि गैर हिंदी भाषी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात क्या विकसित राज्य हैं या नहीं? उन्होंने कहा, “ मैं यह इसलिए पूछ रहा हूं, क्योंकि इन राज्यों की मातृभाषा हिंदी नहीं है. अविकसित राज्य (हिंदी भाषी) मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और नव निर्मित राज्य (ज़ाहिर तौर पर उत्तराखंड) है. मैं हिंदू क्यों सीखूं.?”

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू नहीं करेगा तमिल नायडू 
तमिलनाडु में हिंदी को कथित रूप से थोपना एक संवेदनशील मसला है और द्रमुक ने 1960 के दशक में जनता का समर्थन जुटाने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया था और उसे कामयाबी मिली थी. सत्तारूढ़ दल हिंदी को ’थोपने’ के प्रयासों की निंदा करता रहा है. राज्य सरकार ने यह भी इल्जाम लगाया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी को थोपा गया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि तमिलनाडु केवल अपने दो भाषा फार्मूले - तमिल और अंग्रेजी का पालन करेगा - जो दशकों से राज्य में प्रचलित है.

उच्च शिक्षा मंत्री भी दे चुके हैं विवादित बयान 
एलनगोवन से पहले राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने तंज कसा था कि हिंदी भाषी लोग राज्य में ‘पानी पुरी’ बेचते हैं. उनकी यह टिप्पणी इस दावे के जवाब में आई थी कि हिंदी सीखने से अधिक नौकरियां मिलेंगी. बाद में हालांकि उन्होंने अपने इस विवादास्पद टिप्पणी से इंकार किया था.

Zee Salaam

Trending news