ईरान में हिजाब कानून पर राष्ट्रपति और सर्वोच्च नेता में ठनी; उदारवादी नेता बोले- होगा नुकसान
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ईरान में हिजाब कानून पर राष्ट्रपति और सर्वोच्च नेता में ठनी; उदारवादी नेता बोले- होगा नुकसान

Hijab Controversy: ईरान में हिजाब कानून पर दो नेताओं में ठन गई है. एक कह रहा है कि इसे लागू होना चाहिए, तो दूसरा कह रहा है कि इसे लागू करने से बड़ा नुकसान होगा, इसलिए इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.

ईरान में हिजाब कानून पर राष्ट्रपति और सर्वोच्च नेता में ठनी; उदारवादी नेता बोले- होगा नुकसान

Hijab Controversy: ईरान में हिजाब विवाद जारी है. ईरान में हिजाब को लेकर सख्त कानून बनाया गया है. कानून के मुताबिक अगर कोई औरत कानून का उल्लंघन करते हुए पाई जाती है तो उसे मौत की सजा भी हो सकती है. हिजाब कानून को लेकर राष्ट्रपति पेजेश्कियान और सु्प्रीम लीडर खामेनेई के बीच तनाव बढ़ गया है.पेजेश्कियान ने कहा है कि वह हिजाब कानून को लागू नहीं करेंगे. 

स्थगित है हिजाब कानून
ईरान में हिजाब कानून के खिलाफ विरोध के बाद कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया गया है. कानून में प्रावधान थे कि जो औरत हिजाब कानून का उल्लंघन करती है उसे मौत की सजा भी हो सकती है. ईरान के नेता अली शकोरी रैड के मुताबिक "राष्ट्रपित पेजेश्कियान ने सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने साफ कहा है कि वह इस कानून को लागू करने जा रहे हैं." शकोरी रैड के मुताबिक पेजेश्कियान ने खामनेई से कहा है कि "अगर नया हिजाब कानून लागू किया जाता है, तो इससे ईरान को भारी नुकसान होगा, इसलिए मैं इसे लागू नहीं कर रहा."

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कानून का उल्लंघन करने पर मौत की सजा
इससे पहले ईरान में एक्टिविस्ट और महिला अधिकारों की वकालत करने वालों ने राष्ट्रपति से अपील की थी कि वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और इस कानून को पास होने से रोकें. ईरान की सुरक्षा परिषद ने शनिवार को एक खत लिखा है कि संसद हिजाब कानून को लागू करने की प्रक्रिया को रोका जाए. हिजाब कानून को पिछले हफ्ते ही लागू होना था लेकिन राष्ट्रपति के इनकार की वजह से इसे लागू नहीं किया जा सका. नए कानून के मुताबिक अगर कोई औरत हिजाब कानून का उल्लंघन करती है तो उसकी 20 महीने की सैलरी के बराबर जुर्माना, कोड़े मारना, जेल की सजा और मौत की सजा भी हो सकती है.

हिजाब कानून पर एमनेस्टी ने क्या कहा?
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नए कानून पर कहा है कि "यह औरतों और लड़कियों के उत्पीड़न को बढ़ाता है, जबकि नियमों की मुखालफत करने वाले लोगों को मौत की सजा के इल्जामों में फंसाता है." 

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