मोहर्रम के दिन काजी ने की मुस्लिम महिलाओं से ये अपील, सोशल मीडिया पर हंगामा
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मोहर्रम के दिन काजी ने की मुस्लिम महिलाओं से ये अपील, सोशल मीडिया पर हंगामा

आज मोहर्रम की 10 तारीख है. इस बीच मध्य प्रदेश के उज्जैन और रतलाम में शहर के काजी नासिर उद्दीन ने एक अपील की है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. 

मोहर्रम के दिन काजी ने की मुस्लिम महिलाओं से ये अपील, सोशल मीडिया पर हंगामा

उज्जैन-रतलाम: मुहर्रम पर्व का आज खास दिन है. आज मोहर्रम की 10 तारीख है. आज ताजियों का कारवॉ शहर की सड़कों पर रात भर निकलेगा, जिसमें मुस्लिम समाज के महिला पुरुष बड़े बुजुर्ग सभी बड़ी संख्या में शामिल होंगे. ताजियों के जुलूस को लेकर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. जुलूस के मार्ग पर यातायात व्यवस्था के चलते वाहनों का प्रतिबंध रहेगा. वहीं बेरिकेटिंग कर पुलिस बल चौराहों पर तैनात रहेगा. पुलिस पैदल मार्च कर माहौल खराब करने वालो पर नजर बनाए हुए है. इसके अलावा ड्रोन से भी नजर रखी जाएगी.

इस बीच शहर के काजी ने एक अलग ही अपील की है. उनकी अपील का एक पत्र सोशल मीडिया पर जारी किया गया है. सोशल मीडिया में जारी शहर काजी के मैसेज में लिखा है कि मुस्लिम महिलाएं व युवतियां ताजिये के जुलूस में शरीख न हों. वहीं मुस्लिम समाज के युवा भी शहर में एक बैनर लेकर घूमते नजर आए, जिसमें लिखा गया कि महिलाएं बेटियां घर की जीनत हैं इन्हें बाज़ार की रौनक न बनायें. 

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पत्र में क्या है? 

पत्र में लिखा है कि "एक ज़रूरी एलान. बिरादाराने इस्लाम अस्सलामअलैकुम, आप सभी से अज़ीज़ाना गुज़ारिश है की मोहर्रम और तमाम मुस्लिम जलसों में हमारी मुस्लिम माँ बहनों के बाजारों में व जुलूसों में आने इस साल से हमेशा के लिए पाबंदी लगाई जाती है. क्योंकि हमारी माँ बहने बीवियां हमारे घरों की इज़्ज़त हैं. हमारी बहनें हमारे सिर का ताज़ हमारी बीवियां हमारे घरों की ज़ीनत हैं. लिहाज़ा आप सभी हज़रात से गुज़ारिश है के अपनी माँ बहनों को घरों में रहकर इबादत करने की ताकीद करें और वक़्त की नज़ाक़त को समझे क्योंकि इनका बाजार में व जलसों में आना ना ही शरई ऐतबार से सही है, ना ही आज के दौर के हिसाब से."

पत्र के अंत में लिखा गया कि "एलानिया बोलने के बाद भी अगर कोई हमारी माँ बहने बाजार में आती हैं तो उनसे किसी तरह की बदसलूकी न करते हुवे समझाईश देकर घर जाने को बोलें. मोहतरम इमाम हजरात से गुजारीश है के आज हर नमाज मे ब्यान करने की जहमत फरमाएं व बयान चस्पा कर दें."

मौलाना ने हमसे बात की

पत्र को लेकर जब हमने बात की तो काजी नासिर उद्दीन से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि यह पर्व हजरत इमाम हुसैन की शहीदी के रूप में मनाया जाता है यह गम का पर्व है. चूंकी इस्लाम में पर्दा प्रथा है इसी के चलते ये निर्णय लिया गया है. किसी को कम आंकना या बहन बेटीयों को बाहर निकलने से रोकना इसका उद्देश्य नहीं है. बड़नगर ही नहीं प्रदेशभर व कई जगह इस तरह के आदेश जारी हुए हैं. इसमें किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती किसी बहन बेटी से नहीं है. एक समझाइश के रूप में पत्र जारी किया गया है. जबर्दस्ती रोक-टोक किसी के लिए नहीं है. आमतौर पर महिलाएं निकलती ही हैं. बाजार में तो ऐसा कोई उद्देश्य ऐसी कोई सोच हमारी नहीं है.

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