क्या अब मस्जिदों के नीचे नहीं ढूंढे जाएंगे मंदिर? 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर इस तारीख को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
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क्या अब मस्जिदों के नीचे नहीं ढूंढे जाएंगे मंदिर? 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर इस तारीख को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट 12 दिसंबर को पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुनवाई करेगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 जजों की सदारत वाली एक बेंच बनाई है. सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल अधिनियम के सपोर्ट में और विरोध में दायर की गई अर्जियों पर सुनवाई करेगा.

क्या अब मस्जिदों के नीचे नहीं ढूंढे जाएंगे मंदिर? 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर इस तारीख को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ 12 दिसंबर को पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुनवाई करेगी. इसमें 15 अगस्त, 1947 को सभी पूजा स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने का हुक्म दिया गया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की खास पीठ बनाई है. इसमें वे खुद, जज संजय कुमार और जज केवी विश्वनाथन शामिल हैं. यह मामला 2020 से अदालतों के सामने पड़ा है.

क्या है पूजा स्थल अधिनियम?
पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991, सभी पूजा स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देता है, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिलने के वक्त था. यह किसी भी पूजा स्थल को दूसरे धर्म में बदलने पर रोक लगाता है और ऐसे धर्मांतरण से संबंधित किसी भी कानूनी कार्यवाही को रोकता है. यह अधिनियम ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद सहित पूजा स्थलों से मुताल्लिक विवादों में काफी चर्चा में रहा है.

अधिनियम के सपोर्ट में अर्जियां
अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अलावा, अदालत इसका सपोर्ट करने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है और इसके उचित प्रवर्तन के लिए निर्देश मांग रहा है. मामले को पहले 5 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन वक्त की कमी के कारण इसे नहीं लिया जा सका.

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अधिनियम लागू करने के निर्देश की मांग
इस बीच, मुस्लिम विद्वानों के एक प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश मांगे हैं. ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने भी अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप करने के लिए एक आवेदन दायर किया है. मुस्लिम संगठनों का कहना है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह और संभल की जामा मस्जिद के ने मंदिर ढूंढने और उनके सर्वे कराए जाने के मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप का उल्लंघन हुआ है.

भाजपा नेताओं की अर्जियां
भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर अहम अर्जी में अधिनियम की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि ये प्रावधान न केवल संवैधानिक अनुच्छेदों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को भी कमजोर करते हैं. यह तर्क दिया गया है कि अधिनियम अतीत के कथित "बर्बर कृत्यों" के लिए न्यायिक उपचार से इनकार करता है. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी में दावा किया गया है कि यह अधिनियम ऐतिहासिक विदेशी आक्रमण और धर्मांतरण से प्रभावित मंदिरों में पूजा करने से हिंदुओं को रोककर धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करता है.

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