Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा पर रोक लगाने वाली मांग को खारिज कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि नमाज और पूजा दोनों हो रही है, इसलिए यह ठीक है.
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Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी गई थी. भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की सदारत वाली पीठ ने कहा कि दोनों समुदायों को धार्मिक पूजा करने की इजाजत देने के लिए विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा.
अदालत का फैसला
पीठ ने कहा, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जिला अदालत और हाई कोर्ट के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय की तरफ से नमाज निर्बाध रूप से पढ़ी जा रही है और हिंदू पुजारी की तरफ से पूजा की पेशकश तहखाने तक ही महदूद है. इसलिए यथास्थिति बनाए रखना और दोनों समुदाय को वहां उपासना की इजाजत देना ठीक है." पीठ में जज जे.बी. पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना यथास्थिति भंग नहीं की जाएगी.
क्या था मामला?
सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ की इजाजत के बारे में 31 जनवरी के जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की तरफ से दायर इजाजत वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र पर परस्पर विरोधी दावों से जुड़े सिविल कोर्ट में चल रहे एक मामले के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह फैसला दिया.
हिंदू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष ने कहा है कि 1993 तक मस्जिद के तहखाने में सोमनाथ व्यास के परिवार की तरफ से पूजा-पाठ किया जाता था, मगर मुलायम सिंह यादव की कयादत वाली तत्कालीन सरकार ने कथित तौर पर इस पर रोक लगा दी थी. मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का कब्जा रहा है. मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी.