Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में उलेमाओं ने मंदिर और मस्जिद के विवाद को लेकर खत लिखा है. उलेमाओं का कहना है कि मस्जिदों के नीचे धार्मिक स्थलों को खोजने की परंपरा का अंत होना चाहिए.
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Bareilly News: देश के अंदर लोकसभा चुनाव के बाद एक ट्रेंड चला है. यह ट्रेंड है मस्जिदों के नीचे मंदिरों को ढूंढने का. इस पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत समेत कई लोग फिक्र का इजहार कर चुके हैं. अब इसी ट्रेंड को लेकर बरेली खानकाह तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सान रजा खां नूरी ने राष्ट्रपति को एक खत लिखा है. यह खत आला हजरत खानदान के बुजुर्ग सदरुल उलमा हजरत तहसीन रजा खां के उर्स के मौके पर लिखा गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस खत में लिखा गया है कि मुसलमानों के खिलाफ गलत प्रचार पर रोक लगाई जाए, और मस्जिदों के नीच मंदिरों को ढूंढने की परंपरा खत्म हो. मौलाना हस्सान ने कहा कि दूसरे की जमीन पर कब्जा कर के मस्जिद नहीं बनाई जा सकती. लिहाजा यह कहना गलत है कि दूसरे धर्म स्थलों को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई. इसके साथ ही इस खत में बांग्लादेश का भी जिक्र किया गया है और भारत के हस्तक्षेप की मांग की गई है.
खत में लिखा गया है कि किसी भी धर्म को जलील करने के लिए महिलाओं के सम्मान के साथ न खेला जाए. आजकल किसी संप्रदाय को जलील करने के लिए उससे जुड़ी महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जाता है. ऐसे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. खत में लिखा गया है कि मीडिया में हिंदू मुसलमान डिबेट से देश की छवि खराब हो रही है.
बता दें, लोकसभा चुनाव के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में मस्जिदों के नीचे मंदिरों को ढूंढने का सिलसिला जारी हुआ है. उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को इसकी वजह से पुलिस और लोगों के बीच झड़प हुई. जिसमें, 4 लोगों की जान गई. वहीं अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन की दरगाह पर भी दावा किया गया है कि यहां पहले शिव मंदिर हुआ करता था. इसकी ज़द में दिल्ली की जामा मस्जिद भी आई है. जहां, दावा किया गया है कि इसकी सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दफ्न की गई हैं.