Israel Lebanon: इजरायल और लेबनान के दरमियान सीजफायर होने के बावजूद जंग जारी है. हाल ही में इजरायल ने लेबनान पर हमला किया है. हमले में 5 लोगों की मौत हो गई है. इससे पहले 24 नवंबर को इजरायल ने हमले किए थे. 27 नवंबर को इजरायल और लेबनान के दरमियान जंगबंदी हुई थी.
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Israel Lebanon: युद्ध विराम के ऐलान के बावजूद इजरायल और लेबनान के बीच तनाव बरकरार है. इजरायल की ओर से हमले जारी हैं. लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी (एनएनए) के मुताबिक दक्षिणी लेबनान के बिंट जेबिल जिले के बेत लिफ गांव पर इजरायली हवाई हमले में चार लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए. सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने एनएनए के हवाले से बताया कि दक्षिणी लेबनान के डेयर सिरियाने गांव में मोटरसाइकिल पर इजरायली हवाई हमले में एक शख्स की मौत हो गई.
लेबनान पर सीरियाई हमले
एनएनए ने यह भी बताया कि नागरिक सुरक्षा टीमों ने चार सीरियाई लोगों के शव बरामद किए हैं, जो 24 नवंबर को बेरूत के बस्ता में मौजूद एक आवासीय इमारत को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हवाई हमले में मारे गए थे. शुक्रवार को भी इजरायली वायु सेना ने सीरिया-लेबनानी सीमा के पास हवाई हमले किए थे. IDF ने कहा था कि उसने 'हथियार तस्करी मार्गों' को निशाना बनाकर वार किया था. इन मार्गों का इस्तेमाल हिजबुल्लाह की तरफ से हथियारों के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जाता था.
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सीजफायर का मकसद
बयान में कहा गया, "यह हमला IDF की तरफ से हाल के हफ्तों में सीरियाई-लेबनानी सीमा पर सीरियाई शासन की तरफ से संचालित हथियार-तस्करी मार्गों को खत्म करने के लिए चल रही कोशिशों का हिस्सा है. हमलों का मकसद हिजबुल्लाह की यूनिट 4400 को कमजोर करना था, जो इजरायली नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ 'आतंकवादी हमलों' के लिए इस्तेमाल किया गया था." बता दें, अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थता से 27 नवंबर को युद्ध विराम लागू हुआ, जिसका मकसद इजरायल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच लगभग 14 महीने से चल रही लड़ाई को रोकना था.
60 दिनों का समझौता
समझौते के तहत, दोनों पक्ष 60 दिनों के लिए दुश्मनी खत्म करने पर सहमत हुए, जिसमें इजरायल धीरे-धीरे दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना वापस ले लेगा और हिजबुल्लाह लिटानी नदी के उत्तर में पीछे हट जाएगा. युद्धविराम के बावजूद, तनाव बरकरार है क्योंकि दोनों पक्ष युद्धविराम उल्लंघन के इल्जामों के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए हमले जारी रखे हैं. जिससे समझौते की स्थायित्व को लेकर चिंताए बढ़ गई हैं.