Indians with hypertension have uncontrolled BP: एक रिसर्च में पाया गया है कि उच्च रक्तचाप के शहरी मरीजों की तुलना में गांव के मरीज इस बीमारी को लेकर ज्यादा लापरवाह होते हैं, उनका रक्तचाप नियंत्रण नहीं रहता है.
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नई दिल्लीः ऐसा माना जाता रहा है कि उच्च रक्तचाप शहरी लोगों की बीमारी है, लेकिन हालिया एक रिसर्च में सामने आया है कि इससे ग्रामीण आबादी भी प्रभावित हो रही है. इसके साथ ही ग्रामीण आबादी इस बीमारी को लेकर लापरवाह रहती है, जिस वजह से उनका रक्तचाप नियंत्रण शहरी मरीजों के मुकाबले में ज्यादा खराब स्थिति में रहता है. रिसर्चर ने इस बात से भी चेताया कि उच्च रक्तचाप भारत में होने वाली मौतों में से यह भी एक सबसे बड़ा कारण है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण भारत में अगर लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरुकता नहीं लाइ जाती है तो भविष्य में ये बड़ा खतरा बना सकता है.
एक चौथाई से भी कम मरीजों का रक्तचाप नियंत्रण
भारत में हाइपरटेंशन के एक चौथाई से भी कम मरीजों का रक्तचाप नियंत्रण में रहता है. ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ’ मैगजीन में पब्लिश एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हृदय रोगियों के लिए हाइपरटेंशन एक बड़ा खतरा है, जो वक्त से पहले मौत के प्रमुख कारणों में से एक है. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, नई दिल्ली और अमेरिका के ‘बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के रिसर्चर की एक टीम ने 2001 के बाद प्रकाशित 51 अध्ययनों की समीक्षा करने के बाद भारत में उच्च रक्तचाप नियंत्रण की दरों का पता लगाया है.
हाइपरटेंशन भारत में मौत की प्रमुख वजहों में से एक
अपने अध्ययन में रिसर्चर ने पाया कि 21 अध्ययनों (41 प्रतिशत) में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के बीच हाइपरटेंशन के नियंत्रण की सबसे खराब दर पाई गई और छह अध्ययनों (12 फीसदी) में ग्रामीण मरीजों के बीच नियंत्रण की दर ज्यादा खराब पाई गई. अध्ययन में पाया गया है कि भारत में हाईपरटेंशन के एक चौथाई से भी कम मरीजों का रक्तचाप 2016-2020 के दौरान नियंत्रण में था. हालांकि, पिछले कुछ सालों के मुकाबले नियंत्रण दर में सुधार हुआ है. रिसर्च के मुताबिक, हाइपरटेंशन भारत में मौत की प्रमुख वजहों में से एक है. मौतों को कम करने में उच्च रक्तचाप के बेहतर नियंत्रण दर हासिल करना बेहद जरूरी है.
अध्ययन में 15 राज्यों के लोगों को किया गया शामिल
अध्ययन में, उच्च रक्तचाप नियंत्रण दर को उन रोगियों के अनुपात के रूप में परिभाषित किया गया था जिनका सिस्टोलिक रक्तचाप 140 से कम और डायस्टोलिक रक्तचाप 90 से कम था. अध्ययन में 3.3 लाख उच्च रक्तचाप वाले रोगियों सहित 1.39 मिलियन आबादी (73 प्रतिशत महिलाएं) को शामिल किया गया था. इन अध्ययनों में भारत के 15 राज्यों के लोगों को सैंपल के तौर पर लिया गया था. शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत को उच्च रक्तचाप नियंत्रण दरों में सुधार के लिए स्थाई, समुदाय आधारित रणनीतियों और कार्यक्रमों का विकास और मूल्यांकन करने की जरूरत है.
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