Cancer Test: भारत में बढ़ते कैंसर के मरीजों के लिए खुशखबरी आ गई है. अब एक ब्लड टेस्ट से 50 तरह के कैंसर का पता चल सकेगा.
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Cancer Test: भारत में कैंसर की बीमारी अब बहुत आम होने लगी है. कैंसर अब लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारी बन गई है. सबसे बड़ी परेशानी ये है कि ज्यादातर मामलों में कैंसर का पता इतनी देर से लगता है कि इलाज लगभग नामुमकिन हो जाता है और मरीज की बची हुई ज़िंदगी बहुत परेशानी में बीतती है. भारत में हर साल कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं.
डॉक्टरों को मिली बड़ी कामयाबी
दुनिया भर में इस पर रिसर्च चल रही है कि क्या कोई तरीका जिससे कैंसर को वक्त रहते पहचाना जा सके और बिना ज्यादा चीरफाड़ किए कैंसर की जांच हो सके. इस मामले में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. अमेरिका के शिकागो में कैंसर पर हुई सबसे बड़ी कांफ्रेंस में एक रिसर्च शेयर की गई, जिसमें दावा किया गया है कि एक ब्लड टेस्ट से 50 तरह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है.
कैसे होता है कैंसर
हमारे शरीर में मौजूद सेल्स रोजाना मरते हैं और नए सेल्स यानी कोशिकाएं पैदा होती रहती है. कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं (Cells) असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं. कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में खराब लाइफ स्टाइल वाली आदतें शामिल हैं जैसे धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन, मोटापा, शरीर में पोषण की कमी और एक्सरसाइज ना करना.
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वैज्ञानिकों ने शुरू की जांच
हमारे शरीर के सेल्स जब मरते हैं तो उन सेल्स में मौजूद डीएनए कई बार खून में मिल जाते हैं– इन्हें cell free DNA कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने ब्लड टेस्ट के जरिए इन डीएनए की सीक्वेंसिंग शुरु की और ये चेक करने की कोशिश की कि क्या ऐसे DNA भी हैं जो अपनी शक्ल या व्यवहार बदल रहे हैं यानी म्यूटेट हो रहे हैं. ऐसा आमतौर पर किसी गंभीर बीमारी के मामले में ही होता है कि DNA की संरचना या आदतें बदल जाएं. वैज्ञानिकों ने ऐसे DNA पहचाने की कोशिश की जिसमें ट्यूमर वाली ग्रोथ का पता चल सका इसके लिए लेटेस्ट मशीनों के जरिए नेक्स्ट जेनेरेशन सेकुएंस की गई.
6000 लोगों पर हुई रिसर्च
शुरुआती रिसर्च में डॉक्टरों ने स्वस्थ लोगों के रैंडम सैंपल लिए और 6000 लोगों के सैंपल में से 92 लोगों में भविष्य में कैंसर होने का शक जताया लेकिन लंबे समय के फॉलोअप में पता चला कि इन 92 लोगों में से केवल 35 लोगों को सच में कैंसर हुआ.
टेस्ट में आए चौंकाने वाले नतीजे
इन नतीजों के बाद वैज्ञानिकों ने दिशा बदली. अब उन्होंने ऐसे 5461 लोगों के सैंपल लिए जिनमें ऐसे लक्षण थे जिसकी वजह से उन डॉक्टर को कैंसर का शक था और उन्हें कैंसर पहचानने वाले टेस्ट कराने की सलाह दी गई थी. वैज्ञानिकों ने ब्लड सैंपल के आधार पर 328 लोगों में कैंसर होने की पुष्टि की. इन मरीजों के रुटीन टेस्ट भी हो रहे थे. कैंसर के लिए किए जाने वाले टेस्ट जैसे बायोप्सी और PET Scan में 363 में कैंसर की पुष्टि हुई थी. यानी इस बार कुछ पॉजिटिव मरीज ब्ल़ड टेस्ट में पकड़ में नहीं आ सके लेकिन ब्लड टेस्ट ने कोई गलत नतीजा नहीं दिया. 85 प्रतिशत मरीजों में ब्लड टेस्ट के आधार पर वैज्ञानिकों ने ये भी बता दिया कि शरीर के किस हिस्से में कैंसर फैला हुआ है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कैलिफोर्निया की कंपनी ग्रेल के साथ मिलकर ये रिसर्च की है.
भारत में भी होंगे टेस्ट
भारत में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मिलाकर गिनती के 5-6 अस्पताल ऐसे संवेदनशील ब्लड टेस्ट कर रहे हैं. दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल के रिसर्सर इस दिशा में काम कर रहे हैं. हेमेटोलॉजी की प्रमुख डॉ ज्योति कोतवाल के मुताबिक आने वाले सालों में कैंसर को सही समय पर पहचानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा. इस तरह के ब्लड टेस्ट भारत में भी किए जाएंगे. अभी भारत में जो मशीने हैं वो कुछ तरह के कैंसर की पहचान इसी सीक्वेंसिंग के आधार पर कर पा रही हैं. लेकिन ये तकनीक बहुत महंगी है और चुनिंदा अस्पतालों में ही मौजूद है.
और रिसर्च किए जाने की जरूरत
American Society of Clinical Oncology के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दिशा में थोड़ी और रिसर्च के जरिए नतीजे और पुख्ता किए जा सकते हैं. जिसके बाद इसे दुनिया भर में मरीजों के लिए अपनाया जा सकता है.
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