Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में एक संस्कृत अध्यापक हैं जो मुस्लिम हैं. उनका नाम हयातुल्लाह है. उन्हें चारों वेदों का ज्ञान है. उनका कहना है कि संस्कृत भाषा लोगों को आपस में जोड़ सकती है.
Trending Photos
Uttar Pradesh News: संस्कृत का मुस्लिम सिपाही! जी हां बात कुछ अटपटी जरुर है, पर है सोलह आने सच. उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के हयातुल्लाह कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं, जो धर्म से मुस्लिम हैं लेकिन पिछले 55 सालों से संस्कृत के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. यही नहीं हिन्दू धर्म के चारों वेदों में पारंगत हयातुल्लाह को चतुर्वेदी की उपाधि मिली है. 82 साल की उम्र पार कर चुके हयातुल्लाह मानते हैं कि संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है, जो मजहबी दीवार को तोड़ कर एक नए हिंदुस्तान का निर्माण कर सकती है. यही वजह है कि इस उम्र में भी स्कूल-दर-स्कूल बच्चों को पढ़ाने में उनके कदम कभी नहीं रुकते हैं.
मुस्लिम शख्स को चारों वेदों का ज्ञान
नाम हयातुल्लाह चतुर्वेदी. उम्र करीब 82 साल. 21 साल पहले रिटायर हो चुके हैं, लेकिन पढ़ाने का मोह नहीं छूटा. विषय भी ऐसा कि लोग पसीना छोड़ देते हैं, लेकिन यही विषय उनकी पहचान बना और आज वह देश के कोने-कोने में जाने जाते हैं. चतुर्वेदी की उपाधि उनको दशकों पहले सम्मान में दी गई. लेकिन नहीं मिला तो राष्ट्रपति पुरस्कार. इसका उन्हें मलाल भी नहीं है. लेकिन जब बात पुरस्कार की होती है, तो बरबस हयातुल्लाह चतुर्वेदी का नाम बुद्धिजीवियों की जुबान पर आ जाता है. धर्म से मुस्लिम होने के बावजूद हयातुल्लाह साहब की दिलचस्पी ने सस्कृत भाषा का विद्वान बना दिया. हयातुल्लाह चतुर्वेदी साहब का मानना है कि भाषा का ज्ञान मजहब की दीवार को गिरा देता है, जो आज के समय की बुनियादी जरूरत है, बच्चों के बीच ज्ञान बांटने का ऐसा जज्बा है कि उम्र आड़े नहीं आती.
संस्कृत पढ़ाता है मुस्लिम शख्स
छात्र भी उनका बहुत सम्मान करते हैं. हयात उल्ला चतुर्वेदी ने अपने संरक्षण में कई लड़कों को पढ़ाया. आज वह संस्कृत विषय से शिक्षक हैं और अपने गुरू का गुणगान गा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि उनको गर्व है की वह महान हस्ती से शिक्षा प्राप्त करते हैं. बच्चों के मुताबिक हयातुल्लाह चतुर्वेदी का पढ़ने का तरीका दूसरे अध्यापकों से अलग है, वह बच्चों को समझाने के लिए हिंदी उर्दू और सस्कृत भाषा का जब प्रयोग करते हैं, तो उन्हें बेहतर समझ में आता है.
मुस्लिम शख्स को संस्कृत से प्यार
मुस्लिम परिवार में जन्मे हयातुल्लाह को बचपन से ही देवो की भाषा संस्कृत से प्रेम रहा. यही वजह है कि उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री भी संस्कृत से ली है. जिन्दगी के सफ़र की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में की और अनवरत रिटार्यडमेंट के बाद भी यह शिक्षक आज भी बच्चो में संस्कृत का अलख जगा रहा है. उन्हें चारों वेदों का ज्ञान है. 1967 में हयातुल्लाह को एक राष्ट्रीय सम्मेलन में चतुर्वेदी की उपाधि दी गई ,तो पूरा इलाका गदगद हो गया. हयातुल्लाह एमआर शेरवानी इंटर कॉलेज में संस्कृत पढ़ाते थे. 2003 में वह रिटायर हुए. इसके बाद भी उन्होंने छात्रों को पढ़ाना नहीं छोड़ा. उन्होंने महगांव इंटर कॉलेज में भी छात्रों को पढ़ाया है. संस्कृत विषय में उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. हाईस्कूल की परिचायिका को भी उन्होंने अनुवादित कर सरल बनाया है. इसके अलावा दिग्दर्शिका छपने वाली है. संस्कृत के प्रचार व प्रसार के लिए वह राष्ट्रीय एकता के लिए काफ़ी प्रयास कर चुके है.