Farmer News: उत्तर भारत में इस साल बेमौसम हुई बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गेंहू की फसल कटने से पहले ही हुई बारिश से ज्यादातर किसानों के गेंहू खेतों में ही खराब हो गए. वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी बेमौसम हुई बारिश ने किसान और बागवानों को चिंता में डाल दिया है.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में बेमौसम हो रही बारिश की वजह से किसान और बागवान परेशान हैं. बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसलों को खासा नुकसान हुआ है. प्रदेश में इस साल सर्दियों में कम बर्फबारी हुई, जिसकी वजह से प्रदेश के बागवानों और किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ रही है.
फसलों और बागवानी के हिसाब से सही समय पर बारिश न होने और कम बर्फबारी की वजह से किसानों और बागवानों को काफी नुकसान हुआ है.
पहले तो सर्दियों के मौसम काफी समय तक ड्राई स्पेल रहा, जिसके बाद तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिला और फिर लगातार बेमौसमी बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ा दी है.
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मुख्य संसदीय सचिव किशोरीलाल ने कही मुआवजे की बात
वहीं, किसानों और बागवानों को हो रहे नुकसान पर हिमाचल प्रदेश सरकार में मुख्य संसदीय सचिव किशोरीलाल ने कहा है कि बेमौसम हो रही बारिश के चलते किसान और बागवानों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आह्वान करेंगे कि किसान और बागवानों को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके. किशोरीलाल ने कहा कि देश के साथ प्रदेश में भी कुदरत का कहर बरप रहा है. ऊंचाई वाले इलाकों में सेब बागवानों को काफी नुकसान हुआ है. वहीं, मैदानी इलाकों में गेहूं की फसल काली पड़ गई है. इसके अलावा निचले इलाकों में आम की फसल को भी काफी नुकसान हो रहा है.
कांगड़ा के जिला उपायुक्त को मौके पर जाकर जायदा लेने के दिए निर्देश
मुख्य संसदीय सचिव ने कहा किसान-बागवान साल भर अपनी फसल पर मेहनत करते हैं, लेकिन बेमौसम हो रही बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की परेशानी चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में सरकार अगर किसानों और बागवानों को मुआवजा देती है, तो इससे उन्हें काफी हद तक राहत मिलेगी. किशोरीलाल ने कहा उन्होंने कांगड़ा के जिला उपायुक्त को भी मौके पर जाकर नुकसान का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं.
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क्या कहते हैं बागवान?
वहीं, बागवानों का कहना है कि सेब का एक पेड़ तैयार करने में 8 से 10 साल का समय लग जाता है और अगर नई तकनीक की बात की जाए तो इससे एक पेड़ 4 से 6 साल में तैयार हो जाता है, लेकिन उसे फल देने लायक बनाने की प्रक्रिया काफी महंगी होती है जो लंबे समय तक चलती है. ऐसे में अगर कुदरती आपदा आ जाए तो उन्हें लाखों रुपये का नुकसान होता है.
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