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Maha Kumbh 2025: रहस्यमयी है नागा साधुओं की दुनिया, जानिए कैसे बनते हैं और कब से शुरू हुई इनकी परंपरा

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में एक बार प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है.  

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नागा साधु हिंदू धर्म के सन्यासी होते हैं, जो सांसारिक मोहमाया से दूर रहकर कठोर साधना करते हैं. ये भगवान शिव के अनुयायी माने जाते हैं और मुख्य रूप से कुंभ मेले में ही देखने को मिलते हैं. आइए जानत है कौन है नागा साधु और क्या है इनका रहस्य...

 

नागा साधु कौन होते हैं?

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नागा साधु कौन होते हैं?

नैगा साधु मोहमाया की दुनिया से अलग रहते हैं. वह कपड़ों का सांसारिक साधन मानते हैं। इसलिए वह बिना कपड़ों के रहते हैं. ये साधु अपने शरीर पर भस्म (राख) लगाते हैं, जो मृत्यु और वैराग्य का प्रतीक है. ये लंबी जटाएं रखते हैं और अग्नि धूनी (धूनी जलाकर साधना) में ध्यान करते हैं और नागा साधु शस्त्र (त्रिशूल और तलवार) भी धारण करते हैं, जो शक्ति और रक्षा का प्रतीक होते हैं.

नागा साधु कैसे बनते हैं?

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नागा साधु कैसे बनते हैं?

नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत कठिन और लंबी होती है. इच्छुक व्यक्ति को एक अनुभवी नागा गुरु के पास जाना पड़ता है। शुरुआत में कई वर्षों तक ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करना पड़ता है.  फिर संन्यास संस्कार होता है, जिसमें व्यक्ति सांसारिक रिश्तों और पहचान का त्याग कर देता है. अंतिम चरण में दिगंबर (नग्न) अवस्था धारण की जाती है और कठिन तपस्या शुरू होती है. नागा साधु बनने के बाद कठोर नियमों का पालन करना होता है, जैसे मांस, मदिरा, धन और भौतिक सुखों का त्याग.

 

नागा साधुओं की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?

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नागा साधुओं की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?

नागा साधुओं की परंपरा का संबंध आदि गुरु शंकराचार्य (8वीं शताब्दी) से माना जाता है. उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और आस्था को पुनः स्थापित करने के लिए विभिन्न अखाड़ों की स्थापना की. नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य धर्म और संस्कृति की रक्षा करना था. इन्हें सैन्य साधु भी कहा जाता है, क्योंकि ये आक्रमणकारियों से धर्म की रक्षा के लिए अस्त्र-शस्त्र धारण करते थे.

नागा साधुओं के पास रहस्यमयी शक्तियां होती हैं

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नागा साधुओं के पास रहस्यमयी शक्तियां होती हैं

नागा साधुओं के पास रहस्यमयी शक्तियां भी होती हैं. कठोर तपस्या करने के बाद इन शक्तियों को हासिल करते हैं, वह कभी भी अपनी इन शक्तियों का गलत इस्तेमाल नहीं करते हैं. वह अपनी शक्तियों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं.

 

युद्ध कला में पारंगत होते हैं

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युद्ध कला में पारंगत होते हैं

नागा साधुओं को एक दिन में सिर्फ सात घरों से भिक्षा मांगने की इजाजत होती है. अगर उनको इन घरों में भिक्षा नहीं मिलती है, तो उनको भूखा ही रहना पड़ता है। नागा संन्यासी दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं. नागा साधू हमेशा नग्न अवस्था में रहते हैं और युद्ध कला में पारंगत होते हैं.

 

नागा साधुओं का कुंभ मेले में महत्व

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नागा साधुओं का कुंभ मेले में महत्व

नागा साधु कुंभ मेले में सबसे पहले पवित्र स्नान करते हैं, जिसे शाही स्नान कहा जाता है. यह स्नान धर्म और आध्यात्मिकता की शुद्धि का प्रतीक होता है. कुंभ मेले में नागा साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं और लाखों श्रद्धालु इनसे आशीर्वाद लेने आते हैं. (Disclaimer) इस आर्टिकल में बताए गए धार्मिक व मान्यतो की जी मीडिया न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें.